उड़न-छू का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गांव पहुंचने पर चाची या काकी थाली में पानी रख कर पांव धोती थी और सारी थकान पल भर में उड़न-छू . अब तो बहुत कुछ बदल गया है .
- एक पुराने ‘ बैरी ' ने ट्रैंक्विलाइजर की गोली का नाम बताते हुए कहा था कि अगर कोई बीस गोली खा ले तो दो घंटे में दुनिया से उड़न-छू हो जाएगा।
- कोई नई बात कह कर दाम बढ़ाये जाते हैं , फिर दाम तो हमेशा के लिए बढ़े हुए रह जाते हैं और सुविधा चंद दिन बाद उड़न-छू हो जाती हैं .
- इसी तरह चंपत होने के लिए उड़न-छू होना , अफ़वाह के लिए उड़ती ख़बर, किसी के खात्मे के लिए उड़ाना या उड़ा देना, या हाथ साफ़ करने के अर्थ में उड़ाना जैसे शब्द-युग्म मुहावरों के तौर पर प्रचलित हैं।
- इसी तरह चंपत होने के लिए उड़न-छू होना , अफ़वाह के लिए उड़ती ख़बर , किसी के खात्मे के लिए उड़ाना या उड़ा देना , या हाथ साफ़ करने के अर्थ में उड़ाना जैसे शब्द-युग्म मुहावरों के तौर पर प्रचलित हैं।
- गए साल में पुलिस ने कीता खूब कमाल नए साल में चहक कर बतलाये डडवाल बतलाये डडवाल जुर्म का ' ग्राफ ' घटा है घटनाओं का जाल दीखता साफ कटा है दिव्यदृष्टि कथनी-करनी में लेकिन अन्तर तभी उड़न-छू हुए ' जंग-जू ' तीन भयंकर
- लेकिन आबिदा गाना शुरू करें उससे पहले सबा के झोंके की तरह गुलज़ार की महकती आवाज़ माहौल को ताज़ातरीन कर जाती है , इधर-उधर की सारी बातें फौरन हीं उड़न-छू हो जाती है और सुनने वाला कान को आले से उतारकर दिल के कागज़ पर पिन कर लेता है और सुनता रहता है दिल से..
- लेकिन आबिदा गाना शुरू करें उससे पहले सबा के झोंके की तरह गुलज़ार की महकती आवाज़ माहौल को ताज़ातरीन कर जाती है , इधर-उधर की सारी बातें फौरन हीं उड़न-छू हो जाती है और सुनने वाला कान को आले से उतारकर दिल के कागज़ पर पिन कर लेता है और सुनता रहता है दिल से ..
- अब , वहाँ इंद्रधनुष दीखा है लगता है- इंद्रधनुष का तकिया सरहाने रखकर बादलों का लिहाफ़ ओढ़ लूँ फिर दुनिया की तमाम तकलीफ़ों को उड़न-छू कर दूँ ! 0 (सभी कविताएँ ‘वाणी प्रकाशन' से प्रकाशित कविता संग्रह “बेशर्म के फूल ” से साभार) बनारस में जन्मी रेखा मैत्र ने एम ए (हिंदी) तक की शिक्षा सागर विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश से ग्रहण की।
- भूल गए जब अपने अमिताभ बच्चन भगवान की पूजा कर रहे थे ? जब ठाकरे भगवान जी की मूर्ति लगा रहे थे ? और जाने कितने भगवान बनाए होंगे ! तो इन तिवारी जी से क्यों जलते हैं ! एक तरफ भगवान-भगवान भी करते हो और जब भगवान के लिए कुछ करने की बारी आती है तो उड़न-छू हो जाते हो … तिस पर भी कोई भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुछ करे तो आपको हजम नहीं होता कि उसे मुझसे ज्यादा क्यों मिले , भगवान की कृपा क्यों मिले !