उत्तंग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- स्लेटी छतों वाले पहाड़ी घर , आंगन के सामने आडू , खुबानी के पेड़ , पक्षियों का कलरव , सर्पिल पगडण्डियां , बांज , बुरांश व चीड़ के पेड़ों की बयार व नीचे दूर दूर तक मखमली कालीन सी पसरी कत्यूर घाटी व उसके उपर हिमालय के उत्तंग शिखरों और दादी से सुनी कहानियों व शाम के समय सुनायी देने वाली आरती की स्वर लहरियों ने गुसाईं दत्त को बचपन से ही कवि हृदय बना दिया था।
- की दीवार भी आज एक अजूबा है इसी तरह ब्राजील में , पहाड़ की चोंटी पर,हाथ फैलाए क्राइस्ट का पुतला,या जोर्डन में पेट्रा का महल,रोम का कोलोसियमया पेरू का माचु पिचुये सारे अजूबे बनाए है ,भगवान के गढ़े एक अजूबे ने,जिसे कहते है इंसानऔर बनाए गए है,चीर कर सीना,उस धरती माता का,जो अपने आप में अजूबा है महानजिसकी कोख में एक बीज डाला जाता हैतो हज़ारों दानो में बदल जाता हैजिसके सीने पर कई उत्तंग शिखर हैऔर तन पर लहराते कई समंदर&
- हिंदी का पहला अखबार ' उत्तंग मार्तंड ' जब निकाला गया , तब लोगों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि आगे चलकर हिंदी-पत्रकारिता का हश्र क्या होगा ? उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इसकी आड़ में ' प्रेस-कार्ड ' भी धड़ल्ले से चल निकलेंगे और उन लोगों को ज़ारी करने के काम आयेंगे , जो उन्हें अपनी दवाओं के विज्ञापन दे रहे हैं और समाचार लिखना तो अलग , उनको पढ़ पाना भी वे सही ढंग से नहीं जानते होंगे .
- हिंदी का पहला अखबार ' उत्तंग मार्तंड ' जब निकाला गया , तब लोगों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि आगे चलकर हिंदी-पत्रकारिता का हश्र क्या होगा ? उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इसकी आड़ में ' प्रेस-कार्ड ' भी धड़ल्ले से चल निकलेंगे और उन लोगों को ज़ारी करने के काम आयेंगे , जो उन्हें अपनी दवाओं के विज्ञापन दे रहे हैं और समाचार लिखना तो अलग , उनको पढ़ पाना भी वे सही ढंग से नहीं जानते होंगे .
- राष्ट्रीय राजमार्ग-२१५ केन्दुझर जिला को उत्तर से दक्षिण तक लगभग दो प्राकृतिक क्षेत्रों में विभाजित करता है | इसके पूर्वी भाग में आनन्दपुर और सदर उपखंड ( सब्डिव्हिजन) के कुछ भाग का मैदानी क्षेत्र है | एवं इस राजमार्ग के पश्चिमी क्षेत्र उत्तंग पहाडिओं से भरा हुआ है जिनमे गंधमार्द्दन (३४७७ फिट), मांकडनचा (३६३९ फिट), गोनासिका (३२१९ फिट) एवं ठाकुराणी (३००३ फिट) आदि राज्य के कुछ उच्च पर्वत शिखर भि अन्तर्गत है | केन्दुझर जिला के प्राय: अर्द्ध प्रतिशत (४०४३ वर्ग किमि) क्षेत्र उत्तरी उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन (
- सागर तीरे समुंदर के किनारे , निर्वसन , लेटी धूप मे लालिमा पर कालिमा को ला रही निज रूप मे सूर्य की ऊर्जा तुम्हारे , बदन मे छा जाएगी रजत तन पर ताम्र आभा , सुहानी आ जाएगी चोटियाँ उत्तंग शिखरों की सुहानी , मदभरी देख दीवाने हुये हम , मची दिल मे खलबली रजत रज पर , देख बिखरी , रूप रस की बानगी हो गया पागल बहुत मन , छा गई दीवानगी समुंदर से अधिक ऊंची , उछालें , मन भर रहा रूप का मधु रस पिये हम , हृदय बरबस कर रहा