एकचित्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ऐसे में यदि कविता अपने इतिहास-संसार से ऐसा कुछ हासिल नहीं कर सकी है जोकि वर्तमान को अपने तर्क और विचार से सहमत कर सके तो द्वंद्वात्मकता और अस्थिरता के बीच विषय के साथ एकचित्त होकर भी ‘कविता का अस्तित्व ' अपने पूर्ण संकट में आना स्वाभाविक है.
- मेरी पाठकों से विनम्र प्राथर्ना है कि वे समस्त बाधाएँ - जैसे आलस्य , निद्रा, मन की चंचलता व इन्द्रिय-आसक्ति दूर कर और एकचित्त हो अपना ध्यान बाबा की लीलाओं की ओर वें और स्वाभाविक प्रेम निर्माण कर भक्ति-रहस्य को जाने तथा अन्य साधनाओं में व्यर्थ श्रमित न हो ।
- जब इंसान अकेला होता है जो स्त्री हाथ-पांव मारकर या चिल्ला कर अपने लिए सहायता इकठ्ठा कर सकती है लेकिन अगर यही काम वह इंसान समूह में करे तो उसकी ताकत एकाग्र और एकचित्त हो उस स्त्री के साथ संभोग और उस पर यातनाएं देने पर लग जाती है .
- ऐसे में यदि कविता अपने इतिहास-संसार से ऐसा कुछ हासिल नहीं कर सकी है जोकि वर्तमान को अपने तर्क और विचार से सहमत कर सके तो द्वंद्वात्मकता और अस्थिरता के बीच विषय के साथ एकचित्त होकर भी ‘ कविता का अस्तित्व ' अपने पूर्ण संकट में आना स्वाभाविक है . “
- जब इन्सान नमाज़ के लिए हाथ बांध कर ईश्वर के समक्ष एकचित्त होकर खड़ा होता है , उसके आगे झुकता है और ज़मीन पर माथा टेक कर अपने पूरे अस्तित्व व व्यक्तित्व को उसके समक्ष डाल देता , समर्पित कर देता है तो उसे उस अवस्था में आध्यात्मिकता की चरम सीमा की अनुभूति होती है।
- इस अध्याय को समाप्त करने से पूर्व मेरी पाठकों से विनम्र प्राथर्ना है कि वे समस्त बाधाएँ - जैसे आलस्य , निद्रा, मन की चंचलता व इन्द्रिय-आसक्ति दूर कर और एकचित्त हो अपना ध्यान बाबा की लीलाओं की ओर वें और स्वाभाविक प्रेम निर्माण कर भक्ति-रहस्य को जाने तथा अन्य साधनाओं में व्यर्थ श्रमित न हो ।
- इस अध्याय को समाप्त करने से पूर्व मेरी पाठकों से विनम्र प्राथर्ना है कि वे समस्त बाधाएँ - जैसे आलस्य , निद्रा , मन की चंचलता व इन्द्रिय-आसक्ति दूर कर और एकचित्त हो अपना ध्यान बाबा की लीलाओं की ओर वें और स्वाभाविक प्रेम निर्माण कर भक्ति-रहस्य को जाने तथा अन्य साधनाओं में व्यर्थ श्रमित न हो ।
- अब इस वाणी में लिखे फुरमान पर चलकर हम सब रूहों को माया को पीठ देकर एक तन , एक मन व एकचित्त होकर वाणी में लिखी इशारतों में छिपे बातून माएनों के आधार पर अपने असल पिया की पहचान करनी थी क्योंकि यदि पिया जी उसी समय सारे गुझ खोल देते तो खेल क्या रहता क्योंकि खेल तो पिया को इस माया में पहचानने का ही था जैसा कि वाणी में लिखा है : -