कर्णमूल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कर्णमूल भी संक्रामक रोग है जिसकी पहचान एक या एक से अधिक गलक्षत ( parotid gland ) की सूजन , साथ मे हल्का बुखार , मुँह खोलने मे परेशानी और दर्द के रूप मे जानी जाती है।
- गले के पार्श्व में एक बड़ी पेशी कान के पीछे कर्णमूल से उरोस्थि ( sternum) तक जाती दीख रही है, जो उरोस्थि ओर जत्रु के पास के भाग से उदय होकर, ऊपर जाकर, कर्णमूल पर लग जाती है।
- गले के पार्श्व में एक बड़ी पेशी कान के पीछे कर्णमूल से उरोस्थि ( sternum) तक जाती दीख रही है, जो उरोस्थि ओर जत्रु के पास के भाग से उदय होकर, ऊपर जाकर, कर्णमूल पर लग जाती है।
- कृष्ण कभीनिर्मित-निकुञ्ज-भवन में मिथुन-~ व्यापारेच्छा की पूर्ति-हेतु , शयन-मुद्रा बनाते, कभी हार गूँथते, कभी रहस्यपूर्ण बात कहने के ब्याज से राधा का कर्णमूल थाम-~ करउसका चुम्बन करते हैं, कभी वेणी का श्रृंगार करते, कभी अस्त-व्यस्त केश, वस्त्ररहित हो उठते हैं.
- उग्र रूप से विशेष लक्षण कान के पीछे और नीचे के भाग में , जिसको कर्णमूल (Mastoid) कहते हैं, पीड़ा, दबाने से पीड़ा का बढ़ना, शोथ, 102रू से 104रू फा. तक ज्वर और कान से पूय का निकलते रहना हैं।
- वाइरल संक्रमण कोई आवशयक नही कि बारिश के मौसम की ही मार हो , होली के आसपास और अन्य महीनो मे खसरा, छोटी माता, कर्णमूल, इनफ़लूनजा, डेंगू बुखार का हो जोर या फ़िर प्रदूषित पानी की वजह से पीलिया , मियादी बुखार जो कि मूलभूत बैक्टीरियल संक्रमण है आम इन्सान की जिन्दगी को तंग करते रहते हैं।
- क्षण भर शेखर कुछ नहीं समझता , फिर एक बाढ़ उसके भीतर उमड़ आती है , और वह उन उठे हुए अर्धमुकुलित ओठों की ओर झुकता है-झुकते-झुकते उसकी आप्लावनकारी आतुरता ही उसे संयत कर देती है , एक वत्सल कोमलता उसमें जागती है कि बेले के अधखिले सम्पुट को स्निग्धतम स्पर्श से ही छूना चाहिए , और ओठों के निकट पहुँचते-पहुँचते वह ग्रीवा कुछ मोड़कर अपना कर्णमूल शशि के ओठों से छुआ देता है।
- वाइरल संक्रमण कोई आवशयक नही कि बारिश के मौसम की ही मार हो , होली के आसपास और अन्य महीनो मे खसरा [ measles ] , छोटी माता [ chicken pox ] , कर्णमूल [ mumps ] , इनफ़लूनजा [ influenza ] , डेंगू बुखार [ dengue fever ] का हो जोर या फ़िर प्रदूषित पानी की वजह से पीलिया [ hepatitis-jaundice ] , मियादी बुखार [ typhoid ] जो कि मूलभूत बैक्टीरियल संक्रमण है आम इन्सान की जिन्दगी को तंग करते रहते हैं।
- वाइरल संक्रमण कोई आवशयक नही कि बारिश के मौसम की ही मार हो , होली के आसपास और अन्य महीनो मे खसरा [ measles ] , छोटी माता [ chicken pox ] , कर्णमूल [ mumps ] , इनफ़लूनजा [ influenza ] , डेंगू बुखार [ dengue fever ] का हो जोर या फ़िर प्रदूषित पानी की वजह से पीलिया [ hepatitis-jaundice ] , मियादी बुखार [ typhoid ] जो कि मूलभूत बैक्टीरियल संक्रमण है आम इन्सान की जिन्दगी को तंग करते रहते हैं।
- हैजे की इस अवस्था में शरीर के कई अंगों में खून का संचार होता है और जो अंग सबसे कमजोर होते हैं वे अंग रोग ग्रस्त अधिक होते हैं और कई प्रकार के लक्षण प्रकट हो जाते हैं- रोग का आक्रमण दुबारा से होना , बुखार रहना , पेशाब न होना , उल्टी आना या मिचली होना , हिचकी आना , तंद्रा होना , पेट फूलना , फोड़ा होना , पतले दस्त आना , कर्णमूल में जलन होना तथा फेफड़े में जलन होना आदि।