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कर्मेन्द्रिय का अर्थ

कर्मेन्द्रिय अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. शरीर के अन्तर्गत थल तत्व से संबधित वस्तुओं की जानकारी व पहचान के लिए ज्ञानेन्द्रिय के रूप में ‘ नाक ' तथा इसकी सहायक के रूप में ‘ मलद्वार ' नामक कर्मेन्द्रिय होती है।
  2. ये सहयोगी हैं अग्नि तत्व विभाग के , जिसके लक्ष्य कार्य-सम्पादन हेतु शरीर में ज्ञानेन्द्रिय रूप में चक्षु-ऑंख और सहायक रूप में पैर नाम-रूप वाला कर्मेन्द्रिय मिला है , जो अपने आवश्यकतानुसार गतिशील होता रहता है।
  3. जिस व्यक्ति की दसो इन्द्रियां ( ५ कर्मेन्द्रिय + ५ ज्ञानेन्द्रिय ) सर उठा कर खड़ी हो और वो बीसियों तरीके से जुगाड़ लगाकर इन इन्द्रियों को तृप्त करने में लगा हो वो ही रावण है।
  4. जिस व्यक्ति की दसो इन्द्रियां ( ५ कर्मेन्द्रिय + ५ ज्ञानेन्द्रिय ) सर उठा कर खड़ी हो और वो बीसियों तरीके से जुगाड़ लगाकर इन इन्द्रियों को तृप्त करने में लगा हो वो ही रावण है।
  5. वीरवर ! पाँच कर्मेन्द्रिय , पाँच ज्ञानेन्द्रिय और एक अहंकार - ये ग्यारह मन की वृत्तियाँ हैं तथा पाँच प्रकार के कर्म पाँच तन्मात्र और एक शरीर - ये ग्यारह उनके आधारभूत विषय कहे जाते हैं || ९ ||
  6. प्रत्येक श्लोक का कौन कौन सा गुण है कौन सी इन्द्रिय है कौन सा रस है , कौन सी कर्मेन्द्रिय है कौन सा स्वर है कौन से तत्व है कौन सी कला है कौन सी मुद्रा है और क्या ध्यान है ?
  7. जिसका चित्त एकमात्र भगवान में ही लग गया है , ऐसे मनुष्य की वेदविहित कर्मों मे लगी हुई तथा विषयों का ज्ञान करानेवाली ( कर्मेन्द्रिय एवं ज्ञानेन्द्रिय - दोनों प्रकार की ) इन्द्रियों की जो सत्वमूर्ति श्रीहरि के प्रति स्वाभाविकी प्रवृत्ति है , वही भगवान की अहैतुकी भक्ति है ।
  8. प्रभु का धन्यवाद करो कि उसने पुरूषार्थ करने के लिये कर्मेन्द्रिय दीं , विचार के लिये बुद्धि और विवेक प्रदान किया , इसलिए उचित यह है कि दूसरों की उपलब्धियों से ईष्र्या न कर उससे प्रेरणा लें और प्रगति के मार्ग पर बुद्धि और विवेक से विचार कर आगे बढने का प्रयास करें।
  9. शरीर के अन्तर्गत थल-तत्व सम्बन्धी विषय-वस्तुओं की यथार्थत : जानकारी व पहचान तथा प्रयोग एवं उपयोग हेतु और थल तत्व विभाग से सम्पर्क बनाये रखने हेतु ' नाक ' ( घ्राणेन्द्रिय ) या नासिका नाम ज्ञानेन्द्रिय तथा इसके सहयोग या सहायक रूप में ' गुदा ' ( मल द्वार ) नाम कर्मेन्द्रिय अपना स्थान स्थापित किये ।
  10. जिस प्रकार बिन्दुरूप परावाक सकल शब्दों की जननी है उसी प्रकार वह छत्तिस तत्वों की भी माता है , तन्त्रिकामतानुसार वे छत्तिस तत्य है ये हैं - पांच इन्द्रियों के विषय , पांच ज्ञानेन्द्रिय तथा पांच कर्मेन्द्रिय पांच इन्द्रियों के विषय मन बुद्धि अहंकार प्रकृति पुरुष कला अविद्या राग काल नियति माया शुद्धविद्या ईश्वर सदाशिव शक्ति और शिव ।
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