कलित का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब आज है सुंदर सृजन , मन घूमता है क्यों विकल?तम को ह्रदय में बांध जड़, लखता नहीं क्यों ज्योति पल?पलकों तले संसार रचढल गए दो-चार पल, आँखें ठगी-सी रह गयींदेख विधि का कलित छल।
- इस स्थिति में गांव के ग्रामीण न तो प्राक् कलन के बारे में जान पाए , न ही प्राक् कलित राशि , निर्माण एजेंसी या वास् तविक ठेकेदार के बारे में जानकारी हो पायी।
- अतएव वह प्रशंसनीय है , और उनकी कलित कीर्ति की वह कान्त ध्वजा है, जो आज तक भारत-धारा में उड़-उड़कर उनको उन गौरवों से गौरवित कर रही है,जिसका अधिकारी उन जैसा कोई महादानी हो सकता है।
- मधुशाला की अंतिम रुबाई : बड़े-बड़े नाजों से मैंने पाली है साकी बाला, कलित कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला, मान-दुलारों से ही रखना, इस मेरी सुकुमारी को, विश्व! तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूं मधुशाला।
- बेला विभ्रम की बीत चल्ली रजनी गंधा की कली खिली- अब सान्ध्य - मलय - आकुलित दुकूल कलित हो , वों छिपते हो क्यों? वे कुछ दिन कितने सुन्दर थे! जब सावन - घन - सघन बरसते- इन आंखों की छाया भर थे!
- ४ ७ बड़े- बड़े नाज़ों से मैंने पाली है साकीबाला , कलित कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला , मान- दुलारों से ही रखना इस मेरी सुकुमारी को , विश्व , तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूँ मधुशाला . ४ ८
- ४ ७ बड़े- बड़े नाज़ों से मैंने पाली है साकीबाला , कलित कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला , मान- दुलारों से ही रखना इस मेरी सुकुमारी को , विश्व , तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूँ मधुशाला . ४ ८
- ऐसे समय मे बच्चन लिखित समापन छ्द याद आता है बडे बडे नाजो से मैने पली है साकी बाला कलित कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला नाज दुलारो से ही रखना मेरी इस सुकुमारी को विश्व तुम्हारे हाथो मे अब सौप रहा हू मधुशाला .
- हाय ! वो भी एक दिन थे , जब इस शाश्यश्यामला भूमि पर दूध की धाराएं बहा करती थी , जब कालिंदी के कलित कलेवर में सुन्दर सरोजों की बाढ़ थी, जब सुरसरि का तट आनन्दोनमत मोरों और कोकिलों के कल-कूजन से गूँज उठता था .
- मेरे हिसाब से इस संसार के कलित कोलाहल कलह में गँवईपन की तलाश करते हुए शब्दों की खेती करना ही कविकर्म है . आइए आज की युवा हिन्दी कविता और कवि कर्म पर कुछ यूँ ही - सी बात करते है - * नये कवियों की एक बहुत बड़ी कतार हमारे समक्ष विद्यमान है.