कुम्भज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अगस्त्य ( पर्यायवाची - अगस्त , अगस्ति , अगस्ती , अग्निमारूति , और्वशेय , कलशिसुत , कुम्भज , कुंभजात , कुम्भयोनि , कुम्भसंभव , कूटज , घटज , घटयोनि , घटसंभव , घटोद्भव , पीताब्धि , मैत्रावरूण , याम्य , विंध्यकूट , समुद्रचुलुक , सिन्धुशासनि।
- अगस्त्य ( पर्यायवाची - अगस्त , अगस्ति , अगस्ती , अग्निमारूति , और्वशेय , कलशिसुत , कुम्भज , कुंभजात , कुम्भयोनि , कुम्भसंभव , कूटज , घटज , घटयोनि , घटसंभव , घटोद्भव , पीताब्धि , मैत्रावरूण , याम्य , विंध्यकूट , समुद्रचुलुक , सिन्धुशासनि।
- ' दोआबा ' के इस अंक में सुचयनित कविता एवं कहानियों में सिएथल , मीरा कुमार , स्नेहमयी चैधरी , सोनिया सिरसाट , राजेन्द्र नागदेव , राजकुमार कुम्भज , रामकुमार आत्रेय , सुशील कुमार , अशोक गुप्त , भारत भूषण आर्य और ज्ञानप्रकाश विवेक सम्मलित हैं।
- भगवान शिव द्वारा राम कथामृत पान के लिए कैलाश पर्वत से तमिलनाडु के कुम्भ कोड़म में अगत्स्य मुनि के आश्रम में जाने का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अनन्य ज्ञानी कुम्भज ऋषि की पात्रता को देखकर भगवान शंकर ने उन्हे दक्षिणा स्वरूप भक्ति प्रदान किया।
- प्रो . कुम्भज ने ÓÓ कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजना से लाभान्वित हितग्राहियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन ( इंदौर संभाग के विशेष संदर्भ में ) ÓÓ विषय पर अपना शोध प्रबंध पीएमबी गुजराती वाणिज्य महा . के डा . राजेन्द्र शर्मा के निर्देशन में पूर्ण किया है।
- प्रो . कुम्भज ने ÓÓ कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजना से लाभान्वित हितग्राहियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन ( इंदौर संभाग के विशेष संदर्भ में ) ÓÓ विषय पर अपना शोध प्रबंध पीएमबी गुजराती वाणिज्य महा . के डा . राजेन्द्र शर्मा के निर्देशन में पूर्ण किया है।
- इन्हीं प्रयासों में से एक था त्रिलोचन जी की प्रेरणा से दिविक रमेश के द्वारा संपादित 1981 में प्रकाशित कविता-संग्रह ' निषेध के बाद' जिसके 13 कवियों में मेरे सहित अवधेश कुमार, तेजी ग्रोवर, राजेश जोशी, राजकुमार कुम्भज, चन्द्रकांत देवताले, सोमदत्त, श्याम विमल ऒर अब्दुल बिस्मिल्लाह सम्मिलित थे ।
- ८ = मुनि अगस्त्य का अन्य नाम-वास्तव में वे ( एवं वशिष्ठ ) परखनली शिशु ( टेस्ट ट्यूब बेबी ) थे , जो मित्रा-वरुण के वीर्य को मटके ( कुम्भ ) में सिंचन के उपरांत उर्वशी के गर्भ से उत्पन्न किया गया था , अतः कुम्भज भी कहलाये | ..
- उसने आरोप लगाया : आज कल कोई भुजबल नहीं है / अगर बल है तो सिर्फ चाक़ू और बन्दूक जैसे भुजाओं में / इन दोनों वस्तुओं पर कुम्भज और जम्भ विभाग की कृपा प्राप्त है / वह तो घसेडू टीम है / ऐसे मजमा लगाकर गला फाड़ने से क्या फायदा ?
- इन्हीं प्रयासों में से एक था त्रिलोचन जी की प्रेरणा से दिविक रमेश के द्वारा संपादित 1981 में प्रकाशित कविता-संग्रह ' निषेध के बाद ' जिसके 13 कवियों में मेरे सहित अवधेश कुमार , तेजी ग्रोवर , राजेश जोशी , राजकुमार कुम्भज , चन्द्रकांत देवताले , सोमदत्त , श्याम विमल ऒर अब्दुल बिस्मिल्लाह सम्मिलित थे ।