कुल परम्परा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तुम्हारे जीते जी लोग तुम्हारी धरती ले गए , इतिहास और संस्कृति ले गए और तुसे उफ़ कहते नहीं बन पड़ा | तुम्हारे शत्रुओं ने तुम्हारी छाती पर बैठकर तुम्हारी कुल परम्परा का अपमान किया | और तो और , तुम उस शत्रु के टुकड़ों पर दम हिलाकर तलुवे चाटने लगे
- और कैसे हम जमाए रख पाएंगे कुर्सी पर अपना कब्जा ? “”लेकिन हमने तो आपकी महान कुल परम्परा के बारे में कुछ और ही सुना था?“”क्या सुना था वत्स?“”यही कि आप लोग अत्यंत देशभक्त हैं और देश के लिए आपके कई पुरखों ने तो अपनी जान तक न्यौछावर कर दी है!“”बिलकुल ठीक सुना है.
- प्रहलाद जी सिर्फ है तो अपने लोगों मे जो सिर्फ मेहनत मजूरी करके जीवन की हकीकतों से दो चार हो रहे है , वे कबीर की उस कुल परम्परा के वाहक है जो सीधे सच्चे शब्दों मे , बगैर लाग लपेट के कहते है ' इस घट अंतर बाग बगीचे इसी मे पालनहार ' या धीरे से कहते है ' जिन जोड़ी तिन तोडी ' .
- ब्रह्मवंश , ब्राह्मण , आर्य जाति में धनाधीपति , सांसण-जागीर-सोना नविश , बड़ी जात , बड़े गांव या विराट परिवार तथा शक्तिशाली व्यवस्था से श्रेष्ठ नहीं माना गया है और ना ही क्षत्रियों के साथ रहने से या दान में मिले गांव या जमीन के टूकड़े से श्रेष्ठ नहीं माना गया हैं बल्कि श्रेष्ठता उसकी गोत्र-प्रवर की शृद्धता से है , उसकी कुल परम्परा से है।
- यदि किसी व्यक्ति से उसके परदादा के भाइयों के नाम पूछे जाएं , तो वह बता नहीं पाता है| यह न भी याद रहे तो भी अपने कुल और गोत्र सदैव ध्यान रखना तो आवश्यक ही है क्योंकि प्रत्येक कुल परम्परा में उस कुल के पूजित देवी-देवता अवश्य होते हैं, इसलिए वार, त्यौहार, पर्व आदि पर स्वर्गीय दादा, परदादा दे साठ ही कुल देवता अथवा कुलदेवी को भोग अर्पण अवश्य ही किया जाता है|