कूजन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- श्रुतिपट पर उत्तप्त श्वास का स्पर्श और अधरों पर , रसना की गुदगुदी , अदीपित निश के अन्धियाले में रस-माती , भटकती ऊंगलियों का संचरण त्वचा पर ; इस निगूढ़ कूजन का आशय बुद्धि समझ सकती है ?
- दूरागत इस सतत-संचरण-मय समीर के कर में कथा आदि की जिसे अंत की श्रुति तक ले जाना है इस प्रदीप्त निश के अंचल में , जो आप्रलंय निरंतर , इसी भांति , सुनती जायेगी कूजन गूढ़ प्रणय का .
- लगन लग गयी है , तो रात-भर जागना उसके बाएं हाथ का खेल है , जेठ की दुपहरी चैत की चांदनी है , सावन-भादों की झड़ी मंगलोत्सव की पुष्पवृष्टि है , श्मशान की निस्तब्धता , उद्यान का विहंग-कल कूजन है।
- शायद कबूतरों को भी यह गीत अच्छा लगता था , क्योंकि वे चुग्गा खत्म हो जाने के बाद भी उसका कंठस्वर सुनने के लिये वहाँ बैठे रहते या उनमें से कोई नर कबूतर गर्दन फुलाकर ज़ोर - ज़ोर से कूजन करने लगता।
- सरसों का फूलना , पादपों में नये कोंपल आना, फूलों का खिलना, पक्षियों का कूजन कुमाऊँ में ऊँचाई और निचाई के अनुसार आगे-पीछे होता रहता है, किन्तु प्रकृति के सँवरने-सजने में देर सबेर भले ही हो जाये, हमारे गाँव के दो कदीमी ऋतु रैंण गाने [...]
- अब बगुले हैं या पण्डे हैं या कउए हैं या हैं वकील या नर्सिंग होम , नए युग की बेहूदा पर मुश्किल दलील नर्म भोले मृगछौनों के आखेटोत्सुक लूमड़ सियार खग कूजन भी हो रहा लीन ! अब बोल यार बस बहुत हुआ कुछ तो ख़ुद को झकझोर यार!
- जहाँ नित्य उत्सव हो रहे हैं , नीरवता में भी लताएँ अंगड़ाइयाँ लेती रहती हैं , पुष्प सुरभित होते रहते हैं , नदियाँ बलखाती रहती हैं , पक्षी कूजन करते रहते हैं , ऐसी उस प्रकृति से सीखने की आवश्यकता होती है , कि प्रेम तत्त्व क्या होता है .
- अब बगुले हैं या पण्डे हैं या कउए हैं या हैं वकील या नर्सिंग होम , नये युग की बेहूदा पर मुश्किल दलील नर्म भोले मृगछौनों के आखेटोत्सुक लूमड़ सियार खग कूजन भी हो रहा लीन ! अब बोल यार बस बहुत हुआ कुछ तो ख़ुद को झकझोर यार !
- सरसों का फूलना , पादपों में नये कोंपल आना , फूलों का खिलना , पक्षियों का कूजन कुमाऊँ में ऊँचाई और निचाई के अनुसार आगे-पीछे होता रहता है , किन्तु प्रकृति के सँवरने-सजने में देर सबेर भले ही हो जाये , हमारे गाँव के दो कदीमी ऋतु रैंण गाने [ … ]
- आज तक मां के आनन्द गीतों में फूलों के रंगों में वनपाखी के कूजन में सुख-दुख के आंसुओं में खोजता रहा जीवन का अर्थ बनाए नए नए शब्द-सेतु जिस पर चलते हुए महामानव के चरणों में अर्पित किए विविधवर्णी अभिव्यक्ति के फूल और समष्टि से पाया आशीष दान हृदय की झोली भर स्नेह-शब्द-शस्त् र . ..