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केसू का अर्थ

केसू अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. अपने बेटे केसू को प्यार से देखती है विमला , उसके सर पर हा थ फेरती है घड़ी घड़ी और बाई जी को आशीष देती है कि उन्होंने जांच कर के बताया केसू को कोई बीमारी नहीं है।
  2. गीतों की तो हमारे यहां वसंत ऋतु के आगमन से ही परंपरा हैः फूल रही सरसों , सघन बन अंबुवा मूले ( आम बौराए ) केसू फूले ( टेसू के फूल ) ++ आज बिरज में होरी रे रसिया ++ होरी खेलें रघुवीरा अवध में
  3. हिन्दी में पलाश को ढाक टेसू केसू तथा छौला बंगाली तथा मराठी में पलस गुजराती मे खाखरी कन्नड़ में मुत्तूगा तमिल में पिलासू उड़िया में पोरासू तेलुगू में मोदूक मलयालम में मुरक्कच्यूम संस्कृत में पलाश किंशुक तथा लैटिन में ब्यूटिया फ्रोंडोसा या ब्यूटिया मोनोस्पर्मा कहते हैं।
  4. केसू का बापू जब घर आता था तब हम भी रात भर यही लड़ाई करते थे पर हाँ आवाज़ नहीं कर सकते थे जी तो चाहता था कि चिल्लाने के भी मजे ले ही लें ” दोनों हंस पड़ी , ऐसी हँसी जो एक साथ उड़ चुके कपोतों के पंखों से निकली हों।
  5. मोहन मेरे मुरली बजाना प्यार से मोहन मेरे मोहे बुलाना प्यार से मूँद आँखें कदम्ब के नीचे मुरली मन्द मन्द बजाना मोहन रे मोहे बुलाना मोहन रे टेढ़ी टाँग पे होना खड़े अपने अंदाज से लूटना दिल रे पीला पीताम्बर हवा में लहराए केसू भी उड़ उड़ कपोल चुने आये मोहन मेरा जब बन्सी बजाये
  6. इसे हिन्दी में ढाक , टेसू , केसू , खाकरा ; संस्कृत में- पलाश , किंशुक , सुपर्णी , ब्रह्मवृक्ष , उर्दू में- पलास पापड़ा ; तेलगू में- मोदूगा पलाश , मातुका टट्टू , तेल मोदुग ; बंगाली में- पलाश गाछ ; गुजराती में-खाकरा ; तमिल में- पुगु , कतुमुसक , किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।
  7. इसे हिन्दी में ढाक , टेसू , केसू , खाकरा ; संस्कृत में- पलाश , किंशुक , सुपर्णी , ब्रह्मवृक्ष , उर्दू में- पलास पापड़ा ; तेलगू में- मोदूगा पलाश , मातुका टट्टू , तेल मोदुग ; बंगाली में- पलाश गाछ ; गुजराती में-खाकरा ; तमिल में- पुगु , कतुमुसक , किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।
  8. इसे हिंदी में टेसू , केसू , ढाक या पलाश , गुजराती में खाखरी या केसुदो , पंजाबी में केशु , बांग्ला में पलाश या पोलाशी , तमिल में परसु या पिलासू , उड़िया में पोरासू , मलयालम में मुरक्कच्यूम या पलसु , तेलुगु में मोदूगु , मणिपुरी में पांगोंग , मराठी में पलस और संस्कृत में किंशुक नाम से जाना जाता है।
  9. इसे हिंदी में टेसू , केसू , ढाक या पलाश , गुजराती में खाखरी या केसुदो , पंजाबी में केशु , बांग्ला में पलाश या पोलाशी , तमिल में परसु या पिलासू , उड़िया में पोरासू , मलयालम में मुरक्कच्यूम या पलसु , तेलुगु में मोदूगु , मणिपुरी में पांगोंग , मराठी में पलस और संस्कृत में किंशुक नाम से जाना जाता है।
  10. दूर प्रिये तेरी श्यामल कोमल केशराशियों से तब सुगन्ध की जिह्वा चुपके चुपके चाटती है मेरे रक्त को मेरे चित्त में लहरा जाते हैं रक्तिम केसू ही केसू ! वे चमकते हैं ऐसे जैसे वह भालू का रक्तरंजित मुँह ! इसमे से किस तरह बचाऊँ मैं तुझे ? इसमे से किस तरह बचाऊँ मैं मुझे ? तू और मैं याग ज्वाला जो आग सी सुलगती अलग अलग हम कहाँ जाएँ ?
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