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गृत्समद का अर्थ

गृत्समद अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. भरतवंश शिरोमणि भीष्म जी के दर्शन के लिये उस समय नारद , धौम्य, पर्वतमुनि, वेदव्यास, वृहदस्व, भारद्वाज, वशिष्ठ, त्रित, इन्द्रमद, परशुराम, गृत्समद, असित, गौतम, अत्रि, सुदर्शन, काक्षीवान्, विश्वामित्र, शुकदेव, कश्यप, अंगिरा आदि सभी ब्रह्मर्षि, देवर्षि तथा राजर्षि अपने शिष्यों के साथ उपस्थित हुये।
  2. क्षत्रियकुल में जन्में शौनक ने ब्राह्मणत्व प्राप्त किया | ( विष्णु पुराण ४.८.१) वायु, विष्णु और हरिवंश पुराण कहते हैं कि शौनक ऋषि के पुत्र कर्म भेद से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण के हुए| इसी प्रकार गृत्समद, गृत्समति और वीतहव्यके उदाहरण हैं |
  3. क्षत्रियकुल में जन्में शौनक ने ब्राह्मणत्व प्राप्त किया | ( विष्णु पुराण ४.८.१) वायु, विष्णु और हरिवंश पुराण कहते हैं कि शौनक ऋषि के पुत्र कर्म भेद से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण के हुए| इसी प्रकार गृत्समद, गृत्समति और वीतहव्य के उदाहरण हैं |
  4. इसके साथ ही मान्यता है कि पुष्पक वन में गृत्समद ऋषि के तप से प्रसन्न हो भगवान श्री गणपति ने उन्हें ‘ गणानां त्वां ‘ मंत्र के रचयिता की पदवी यहीं पर दि थी और ईश देवता बना दिया उन्हीं वरदविनायक गणपति का यह स्थान है .
  5. ऐसी मान्यता है कि श्री वरद विनायक के मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व ऋग्वेदीय मंत्र द्रष्टा एवं ‘ गणानां त्वा गणपति ग्वं हवामहे ' ऋचा को गणपति की उपासना आराधना करके सिद्ध करने वाले वेद विख्यात एवं गाणपत्य संप्रदाय के आद्यप्रवर्तक गृत्समद ऋषि ने की थी।
  6. ( k ) क्षत्रियकुल में जन्में शौनक ने ब्राह्मणत्व प्राप्त किया | ( विष्णु पुराण ४ . ८ . १ ) वायु , विष्णु और हरिवंश पुराण कहते हैं कि शौनक ऋषि के पुत्र कर्म भेद से ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र वर्ण के हुए | इसी प्रकार गृत्समद , गृत्समति और वीतहव्य के उदाहरण हैं |
  7. भरतवंश शिरोमणि भीष्म जी के दर्शन के लिये उस समय नारद , धौम्य , पर्वतमुनि , वेदव्यास , वृहदस्व , भारद्वाज , वशिष्ठ , त्रित , इन्द्रमद , परशुराम , गृत्समद , असित , गौतम , अत्रि , सुदर्शन , काक्षीवान् , विश्वामित्र , शुकदेव , कश्यप , अंगिरा आदि सभी ब्रह्मर्षि , देवर्षि तथा राजर्षि अपने शिष्यों के साथ उपस्थित हुये।
  8. भरतवंश शिरोमणि भीष्म जी के दर्शन के लिये उस समय नारद , धौम्य , पर्वतमुनि , वेदव्यास , वृहदस्व , भारद्वाज , वशिष्ठ , त्रित , इन्द्रमद , परशुराम , गृत्समद , असित , गौतम , अत्रि , सुदर्शन , काक्षीवान् , विश्वामित्र , शुकदेव , कश्यप , अंगिरा आदि सभी ब्रह्मर्षि , देवर्षि तथा राजर्षि अपने शिष्यों के साथ उपस्थित हुये।
  9. ' गृत्समद ' नाम में विद्यमान ' गृत्स ' और ' मद ' का , इस सन्दर्भ में पृथक - पृथक निर्वचन करते हुए कहा गया है कि शयन ही के समय वाक् , चक्षु इत्यादि इन्द्रियों के निगरण करने के कारण ' गृत्स ' है और रीति - क्रिया के समय वीर्यस्लखन रूप ' मद ' को उत्पन्न करने के कारण ' मद ' कहलाता है।
  10. ' गृत्समद ' नाम में विद्यमान ' गृत्स ' और ' मद ' का , इस सन्दर्भ में पृथक - पृथक निर्वचन करते हुए कहा गया है कि शयन ही के समय वाक् , चक्षु इत्यादि इन्द्रियों के निगरण करने के कारण ' गृत्स ' है और रीति - क्रिया के समय वीर्यस्लखन रूप ' मद ' को उत्पन्न करने के कारण ' मद ' कहलाता है।
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