गोमुखासन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कपालभाति , ताड़ासन , उत्तानपाद आसन , पवनमुक्तासन , भुजंगआसन , शलभ आसन , उश्ट्रासन , गोमुखासन , प्राणायाम , धीमी गति से भरित्रका प्राणायाम उसके बाद श्वासन , कुंजल क्रिया से भी बहुत लाभ होता हैं और फिर ओम का जाप।
- ये आसन इस प्रकार हैं- योगमुद्रासन , मकरासन , शलभासन , अश्वस्थासन , ताड़ासन , उत्तान कूर्मासन , नाड़ीशोधन , कपालभाति , बिना कुम्भक के प्राणायाम , उड्डीयान बंध , महामुद्रा , श्वास-प्रश्वास , गोमुखासन , मत्स्यासन , उत्तामन्डूकासन , धनुरासन तथा भुजांगासन आदि।
- ये आसन इस प्रकार हैं- योगमुद्रासन , मकरासन , शलभासन , अश्वस्थासन , ताड़ासन , उत्तान कूर्मासन , नाड़ीशोधन , कपालभाति , बिना कुम्भक के प्राणायाम , उड्डीयान बंध , महामुद्रा , श्वास-प्रश्वास , गोमुखासन , मत्स्यासन , उत्तामन्डूकासन , धनुरासन तथा भुजांगासन आदि।
- कफ के रोगी को प्रतिदिन इनमें से कोई भी एक या दो आसन करने से उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है जैसे- गोमुखासन , श्वास-प्रश्वास , मत्स्यासन , उत्तानकूर्मासन , उत्तानमण्डुकासन , सुप्तवज्रासन , भुजंगासन , धनुरासन , नौकासन , चक्रासन , शलभासन , मकरासन , ताड़ासन , कटिचक्रासन , गोमुखासन तथा उष्ट्रासन आदि।
- कफ के रोगी को प्रतिदिन इनमें से कोई भी एक या दो आसन करने से उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है जैसे- गोमुखासन , श्वास-प्रश्वास , मत्स्यासन , उत्तानकूर्मासन , उत्तानमण्डुकासन , सुप्तवज्रासन , भुजंगासन , धनुरासन , नौकासन , चक्रासन , शलभासन , मकरासन , ताड़ासन , कटिचक्रासन , गोमुखासन तथा उष्ट्रासन आदि।
- कफ के रोगी को प्रतिदिन इनमें से कोई भी एक या दो आसन करने से उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है जैसे- गोमुखासन , श्वास-प्रश्वास , मत्स्यासन , उत्तानकूर्मासन , उत्तानमण्डुकासन , सुप्तवज्रासन , भुजंगासन , धनुरासन , नौकासन , चक्रासन , शलभासन , मकरासन , ताड़ासन , कटिचक्रासन , गोमुखासन तथा उष्ट्रासन आदि।
- हठ-आसन ' अनेक प्रकार के होते हैं जैसे पद्मासन , भुजञ्गासन , हलासन , ताड़ासन , शीर्षासन , गोमुखासन , भद्रासन , हस्तिनिषदनासन , मयूरासन इत् यादि - ये सब रोगों की निवृति के लिये लाभकारी हैं परन् तु इन आसनों में हम सुखपूर्वक बैठकर परमात् मा का ध् यान नहीं कर सकते क् योंकि ईश् वर के ध् यान या उपासना के समय ' सुखासन ' का होना आवश् यक होता है , जिसमें लम् बे समय तक सुखपूर्वक बैठा जा सके।
- हठ-आसन ' अनेक प्रकार के होते हैं जैसे पद्मासन , भुजञ्गासन , हलासन , ताड़ासन , शीर्षासन , गोमुखासन , भद्रासन , हस्तिनिषदनासन , मयूरासन इत् यादि - ये सब रोगों की निवृति के लिये लाभकारी हैं परन् तु इन आसनों में हम सुखपूर्वक बैठकर परमात् मा का ध् यान नहीं कर सकते क् योंकि ईश् वर के ध् यान या उपासना के समय ' सुखासन ' का होना आवश् यक होता है , जिसमें लम् बे समय तक सुखपूर्वक बैठा जा सके।