ग्वालन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' सूरदास' प्रभु जो विश्वम्भर, सो ग्वालन के कौर अघाहिं ॥ तब फिर यहाँ तो अनन्त दर्शनीय स्थान हैं, अनन्त सुंदर मठ-मंदिर, वन-उपवन, सर-सरोवर हैं, जो अपनी शोभा के लिए दर्शनीय हैं और पावनता के लिए भी दर्शनीय हैं।
- ===============================भूख प्यास सब ले गए ओ गिरधर , प्रेम की बाँसुरिया तो छोड़ जाओ न ,मटकी उठाई मैंने आपके प्रीत की ,कभी मेरी मटकी भो फोड़ जाओ न ।कितना झूमते हो ग्वालन बीच प्रभु,कभी मेरी बगिया भी कोड़ जाओ न ।
- उस अठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गयी तो क्या करती ? हामिद के लिए कुछ नहीं है, तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही।
- उस उठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गई तो क्या करती ? हामिद के लिए कुछ नहीं हे, तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही।
- उस उठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गई तो क्या करती ? हामिद के लिए कुछ नहीं हे, तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही.
- राधा आईं . रुक्मिणी ने सोचा , ग्वालन हैं , दूध-दही से ही उनका स्वागत होना चाहिए , सो उन्होंने स्वयं अपनी देखरेख में दूध को खूब औखवाया और लाल-लाल सोंधा-सोंधा खूब मलाईदार गरम-गरम दूध स्वयं उनको देने गईं .
- राधा आईं . रुक्मिणी ने सोचा , ग्वालन हैं , दूध-दही से ही उनका स्वागत होना चाहिए , सो उन्होंने स्वयं अपनी देखरेख में दूध को खूब औखवाया और लाल-लाल सोंधा-सोंधा खूब मलाईदार गरम-गरम दूध स्वयं उनको देने गईं .
- उस उठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गई तो क्या करती ? हामिद के लिए कुछ नहीं हे , तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही।
- ये ग्वालन कुरुप है , असुंदर है, इसलिये मन में एक दीन भाव लिये वह कान्हा से पूछ बैठी कि- तुझे सारा गोकुल याद ही होगा, और याद होगी वह यमुना और वह राधा, मगर हे बंसीधर, क्या तुझे यह कुरूप ग्वालन याद है?
- ये ग्वालन कुरुप है , असुंदर है, इसलिये मन में एक दीन भाव लिये वह कान्हा से पूछ बैठी कि- तुझे सारा गोकुल याद ही होगा, और याद होगी वह यमुना और वह राधा, मगर हे बंसीधर, क्या तुझे यह कुरूप ग्वालन याद है?