चंदनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- समदहा के प्राथमिक विद्यालय चंदनी पर गुरुवार को सोशल ऑडिट टीम के सदस्य सुशील यादव , विजय चंद, संध्या, चंद्रशेखर और कोआर्डिनेटर अखिलेश शर्मा के समक्ष रेघई पुत्र राम समुझ ने बताया कि खेत के मेड़ को उन्होंने बांधा था जबकि खेत का समतलीकरण नहीं हुआ था।
- जिन यात्रियों को लूट गया उनमें बोगी संख्या एस 08 में सवार कनंदी दास पति कमल दास साकिन जोरहट असाम , बागी संख्या एस 07 में सवार भवेश वर्मन कुछ बिहार निवासी, सुमाता राय पति परितोष राय के अलावे चंदनी दास असाम, धर्मेन्द्र वर्मन, शुक्ला दास शामिल है।
- कालान्तर में ये सर्वोदयी नेताओं से परिचित हुईं , इन्होंने अपने महिला संघ , जिसमें देवेश्वरी खंड़ूडी , चंदनी काला , दुर्गा देवी खंडूड़ी , रामेश्वरी देवी , सुधा , शकुंतला देवी , तृप्ता देवी गैरोला , बच्ची देवी तथा नगर की अन्य जागरुक महिलायें सम्मिलित थीं।
- कालान्तर में ये सर्वोदयी नेताओं से परिचित हुईं , इन्होंने अपने महिला संघ , जिसमें देवेश्वरी खंड़ूडी , चंदनी काला , दुर्गा देवी खंडूड़ी , रामेश्वरी देवी , सुधा , शकुंतला देवी , तृप्ता देवी गैरोला , बच्ची देवी तथा नगर की अन्य जागरुक महिलायें सम्मिलित थीं।
- जगह का नाम चंदनी हो , स्थान एकांत छत हो , चंद्रमा की चाँदनी छिटकी हुई हो , लड़की का नाम भी चंद्रिका हो और वह चाँदनी से उजले कपड़े पहने हुए हो , ऊपर से बचपन की मित्र भी हो तो किसी घटन-अघटन की आशंका करनी चाहिये।
- जिन यात्रियों को लूट गया उनमें बोगी संख्या एस 0 8 में सवार कनंदी दास पति कमल दास साकिन जोरहट असाम , बागी संख्या एस 0 7 में सवार भवेश वर्मन कुछ बिहार निवासी , सुमाता राय पति परितोष राय के अलावे चंदनी दास असाम , धर्मेन्द्र वर्मन , शुक्ला दास शामिल है।
- धरती के रोम-रोम से सुगन्ध उठती है कैसे झूमता है ये वसन्त मत पूछिये मकरंद ओढ़ कैसे सजता-सँवरता है जगती का आदि और अंत मत पूछिये लेखनी में रस घुलता है और घुंघरू से बजते हैं लिपि के हलन्त मत पूछिये चंदनी पवित्रता का भोग करते हैं ; सारी दुनिया के सन्त औ महन्त मत पूछिये
- ! ! ना व्याकरण , ना लिंग-निर्धारण , ना वचन-संगति , और ना किसी किस्म की “ क्वालिटी ” ही .............. “” रात हो गया था हमलोग एक साथ जा रहा था की तभी अँधेरी चंदनी [ चांदनी ] में / आसमानों में कईएक तारे एक साथ टीमटीमा रहा था कि एक चोर हमको मिले और उन्होंने हमसे सब कुछ को लुट लिया हम तबाह हो गए , बर्बाद हो गए ....
- अँधेरी सडकों को पार करते हुए . ..चले जा रहे थे ..घर की ओर ! जहाँ घर पर स्वागत करेंगीं माँ महलक्ष्मी की मुस्कुराती प्रतिमा, घी का जलता दीपक, मिठाई के कुछ टुकडे, प्रसाद स्वरुप, अगरबती जो कब की बुझ गई होगी उसकी चंदनी गंध, महकती रहेगी ...देर तक, जब तक आँखें मुँद न जायेंगीं, थकान से और सवेरे का सूरज, अगर दर्शन दे, तो नये साल की मुबारकबादी भी, दोस्तोँ को, रिश्तेदारों को, फोन से कहेंगे ..