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चण्डाल का अर्थ

चण्डाल अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इतना ही नहीं यह बहुत बड़ी क्रान्ति की बात है कि प्रभु ने हरिकेशबल जैसे चण्डाल जाति के व्यक्ति को न केवल सभा में जगह दी अपितु उसे संयम देकर आत्म कल्याण का पथ प्रदान किया।
  2. किसी कवि ने हीरादे द्वारा पति की करतूत का पता चलने की घटना के समय हीरादे के मुंह से अनायास ही निकले शब्दों का इस तरह वर्णन किया है- “ हिरादेवी भणइ चण्डाल सूं मुख देखाड्यूं काळ ”
  3. जो व्यक्ति काम व क्रोध के वश में होकर रस्सी , शस्त्र एवं विष से अपने आप को मार डाले या कोई महिला किसी पाप के कारण आत्महत्या कर ले तो चण्डाल उसे रस्सी से बांध कर सड़क पर खींचे ।
  4. ल्य का अर्थशास्त्र- / 7/82 “जो व्यक्ति काम व क्रोध के वश में होकर रस्सी, शस्त्र एवं विष से अपने आप को मार डाले या कोई महिला किसी पाप के कारण आत्महत्या कर ले तो चण्डाल उसे रस्सी से बांध कर सड़क पर खींचे ।
  5. आगाह हो जाओ के यह दुनिया झलक दिखाकर मुंह मोड़ लेने वाली चण्डाल , मुंह ज़ोर अड़ियल झूटी , ख़ाएन , हटधर्म , नाषुक्री करने वाली सीधी राह से मुन्हरिफ़ और मुंह फेरने वाली और कज्र व पेच व ताब खाने वाली है।
  6. जाओ इसी क्षण जाओ उस पार्थसारथी के मंदिर में , जो गोकुल के दीन दरिद्र के सखा थे, जो गुहक चण्डाल को भी गले लगाने में नहीं हिचके, जिन्होंने अपने बुद्ध अवतार में अमीरों का न्योता अस्वीकार कर एक वारांगना का न्योता स्वीकार किया और उसे उबारा।
  7. उस समय उसके उद्गार सुनने लायक है . जब वीका अल्लाउदीन के सेनापति से मिली भेट लेकर अपनी पत्नी के पास पहुंचा तो वह कहती है कि हिरादेवी भणइ चण्डाल सूं मुख देखाड्यूं काळ अर्थात् विधाता आज कैसा दिन दिखाया है कि इस चण्डाल का मुंह देखना पड़ रहा है।
  8. उस समय उसके उद्गार सुनने लायक है . जब वीका अल्लाउदीन के सेनापति से मिली भेट लेकर अपनी पत्नी के पास पहुंचा तो वह कहती है कि हिरादेवी भणइ चण्डाल सूं मुख देखाड्यूं काळ अर्थात् विधाता आज कैसा दिन दिखाया है कि इस चण्डाल का मुंह देखना पड़ रहा है।
  9. इनकी भी जानकारी आम समाज तक लाना आवश्यक है उदाहरणत : अल्मोड़ा में स्यूनरा कोट , हरकोट , गुजड़ू गढ़ी , डुंगरा कोट की सुरंग , चम्पावत में चण्डाल कोट , चिन्तकोट , पिथौरागढ़ में सीराकोट , उदयपुर , रानी कोट की सुरंग , नैनीताल में पल्याल कोट की सुरंग , बागेश्वर में गोपाल कोट , वदिया कोट आदि।
  10. सो खेती-पाती के काम का भी पाप जबसे चला है जबसे बनिये काल पड़ाने लगे हैं और चोर चण्डाल भी जबसे हुए है कि जबसे इन बनियों ने इन्द्रजाल का पाप चलाया है और जबसे ही बनियों ने धन को काबू में कर लिया है जबसे भूखे मरते हैं , इससे चोर-चण्डाल चोरी करते हैं और आगे काल वगैरा नहीं पड़ता था।
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