चिरचिटा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी , गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है।
- 4 . विसूचिका ( हैजा ) : चिरचिटा की जड़ों को 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में बारीक पीसकर दिन में 3 बार देने से हैजा में लाभ मिलता है।
- 4 . विसूचिका ( हैजा ) : चिरचिटा की जड़ों को 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में बारीक पीसकर दिन में 3 बार देने से हैजा में लाभ मिलता है।
- 13 . शीतपित्त : अपामार्ग ( चिरचिटा ) के पत्तों के रस में कपूर और चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
- इसके अलावा सतावर , कुकुरोदाह, आम्बा हल्दी, जलपपनी, अडूसा, गिलोच, धतूरा, हड़जोरी, ग्वारापाठा, चिरचिटा, सम्हालू मेअडी आदि की खेती को बढ़ावा देकर यहां उपचार के साथ-साथ आय के साधन भी तलाशे जा सकते हैं।
- 7 . खांसी : चिरचिटा को जलाकर , छानकर उसमें उसके बराबर वजन की चीनी मिलाकर 1 चुटकी दवा मां के दूध के साथ रोगी को देने से खांसी बंद हो जाती है।
- 7 . खांसी : चिरचिटा को जलाकर , छानकर उसमें उसके बराबर वजन की चीनी मिलाकर 1 चुटकी दवा मां के दूध के साथ रोगी को देने से खांसी बंद हो जाती है।
- 10 ग्राम अपामार्ग ( चिरचिटा ) की जड़ को शाम के समय भोजन करने के बाद रोजाना चबाकर सो जाने से 2 से 4 दिनों के बाद ही रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
- गुर्दे के रोग- 5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम बह शाम मुलेठी , गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है।
- अपामार्ग ( चिरचिटा ) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता है।