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चुगना का अर्थ

चुगना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. क्या किसान की बात सुनेगा , या कुम्हार की सोचेगा या फिर पंख सजाने को, बाकी की बाड़ी नोचेगा मोती चुगना उड़नखोर क्या खाने वाला है उतरेगा नीचे या बस मंडराने वाला है बब्बन सम्मत नहीं विषय से अलग थलग से रहते हैं फटी हुई तहमद से अपना मुंहय पोंछते कहते हैं
  2. ये चाँद जो उजला दिखता हैबस तेरी नज़र का धोखा है है सारी उमर बहता रहता आँखों में कहीं इक दरिया हैपहचान इन्हें कैसे होगी हर आँख चढ़ा इक चश्मा हैतू देख के दाना चुगना रे ! वो जाल बिछाए बैठा हैहर रात बिताता आँखों मेंयह शहर भी मुझ सा तनहा हैजीने की उसे है चाह...
  3. गैरत मंद परिंदों यूँ ही हवा में उडते जाते हो जब हो दाना दुनका चुगना तब धरती पे आते हो मनमानी और तल्ख बयानी से क्यों सच झुठलाते हो खुद की झूठी कसमें खा कर जीते जी मर जाते हो तेरा मेरा तर्के-तअल्ल्लुक बेशक एक हकीकत है तुम फिर भी जाने अनजाने ख़्वाबों में आ …
  4. ये चाँद जो उजला दिखता हैबस तेरी नज़र का धोखा है है सारी उमर बहता रहता आँखों में कहीं इक दरिया हैपहचान इन्हें कैसे होगी हर आँख चढ़ा इक चश्मा हैतू देख के दाना चुगना रे ! वो जाल बिछाए बैठा हैहर रात बिताता आँखों मेंयह शहर भी मुझ सा तनहा हैजीने की उसे है चाह
  5. आपने सही कहा मैने भी ये लाशो की दुर्गति देखी है और इसमे मुख्य हाथ उन घरवालो का होता है जिनमें से ज्यादातर इसलिये गंगा किनारो पर दाह संस्कार करते है क्यो​कि इसके बाद फूल चुगना वगैरा जैसी क्रियाए नही करनी पडती और उन पर अपने प्रिय की लाश के पूरा जलने तक रूकने का टाइम नही होता
  6. - मानवीय शरीर का स्थूल से सूक्ष्म होना अथवा सूक्ष्म से स्थूल होना , पैर के स्थान पर हाथ से चलना, जानवरों की तरह चलना, वाणी मानवीय न होकर पशु या पक्षी की तरह सुनाई देना, घास खाना या पशु के समान आहार लेना, पक्षी की तरह चुगना या दृश्य अगर सपने में दिखाई दे तो स्वास्थ्य में किसी प्रकार की समस्या आने का लक्षण है।
  7. - मानवीय शरीर का स्थूल से सूक्ष्म होना अथवा सूक्ष्म से स्थूल होना , पैर के स्थान पर हाथ से चलना , जानवरों की तरह चलना , वाणी मानवीय न होकर पशु या पक्षी की तरह सुनाई देना , घास खाना या पशु के समान आहार लेना , पक्षी की तरह चुगना ऐसे दृश्य अगर सपने में दिखाई दे तो स्वास्थ्य में किसी प्रकार की गंभीर समस्या आने का लक्षण है।
  8. जागरण संवाद केंद्र , अंबाला शहर: लंबित इतकाल संबंधी मामलों का मौके पर निपटान करने के लिए पटवार सर्कलो पर विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इनमें संबन्धित क्षेत्र के तहसीलदार व नायब तहसीलदार संबंधित का इद्राज व निपटान करेगे। पटवारखाना अंबाला शहर में 26 अगस्त को ही जनसुई, जनसुआ, गोरिसिया, सेगता, सेगती, बिशनगढ़, महमूदपुर, ब बा, बकनौर, खैरा, मुंडा माजरा, चुगना, अलाउदीन माजरा, मिया माजरा, निहारसा, सौंटा, सौंटी, मैहला, भुन्नी, जन्धेड़ी, दानीपुर, कलावड़, छपरा, जैतपुरा, कंगवाल व रोशनपुर के लंबि
  9. यह पुस्तक ( बूँद) तेजज्ञान सागर के अनमोल मोतियों में से एक है, जिसे हंस बनकर हमें चुगना है| कौआ बनकर बहुत जी लिए, अब हंस बनकर जीना है| अपने अंदर के आसमान के मोती पहचान कर पारखी बनें| ऐसा पारस आपको मिले, जिससे मोती बनाए जा सकें| अगर ऐसा कोई तरीका विश्व में उपलब्ध है तो उसे सीखकर पारस की परख पाएँ| हृदय ही वह स्थान है, जो सच्चे पारस की पहचान रखता है| इसलिए यह पुस्तक हृदय से पढ़ें और ‘तेज' को अपनाएँ|
  10. ' जिंदगी एक मज़ाक है इसे यूं भी जीना पड़ता है खुशी को निगलना गम को पीना पड़ता है कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है जो खो न सके कुछ तो दर्द को ढोना पड़ता है यहाँ निशाना भी है तीर कमान भी है यहाँ ज़मीन भी है और आसमान भी है उड़ते ख्वाब भटकते अरमान भी हैं पूरे होने को तरसते कुछ फरमान भी हैं ईमान के उर्वर खेतों में बेईमान को उगना पड़ता है भरे पेट हो कर भी हर दाना चुगना पड़ता है जिंदगी एक मज़ाक है इसे '
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