छागल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उसी तरह पैरों के गहनों में अनौखा , कड़ा , गूजरी या गुजरिया , घुंघरू , चुल्ला , चूरा , छड़ा , छागल , छैलचूड़ी , झाँझैं , टोड़र , तोड़ा , पायजेब , पैजना , बाँके तथा लच्छा आदि हैं ।
- उसी तरह पैरों के गहनों में अनौखा , कड़ा , गूजरी या गुजरिया , घुंघरू , चुल्ला , चूरा , छड़ा , छागल , छैलचूड़ी , झाँझैं , टोड़र , तोड़ा , पायजेब , पैजना , बाँके तथा लच्छा आदि हैं ।
- ! !! - हर शब् द का अर्थ उसके मायने कितना अर्थ लिए होते हैं कोई शब् द किसी को जिन् दगी देता है तो किसी को जीना सिखाता है ... ! होम करते हाथ ................ - **** देखने में रस की जो छागल लगे इस तरह के शख्स तो घायल लगे .
- चालीस के पेटे में पहुंच चुकी पीढी के दिलोदिमाग से अभी यह बात विस्मृत नहीं हुई होगी जब वे परिवार के साथ सफर किया करते थे तो साथ में पानी के लिए सुराही या छागल ( एक विशेष मोटे कपडे की बनी थैली जिसमें पानी ठण्डा रहता था ) अवश्य ही रखी जाती थी।
- हवायें ? मैंने दीठ फेरी है उन अनाम वृक्षों की पुतलियों पर झँकोरे नहीं , किसी चित्रकार के ब्रश से निकले भगोड़े छागल हैं इधर उधर कुँलाचते सब धुँधला करते उभारते नये नये लैंडस्केप लहरा उठती हैं बहुरंगी साड़ियाँ मेरुप्रभा मुग्ध इठलाती है बरस रहे हैं पत्ते गिरते चमक चन चन नदी के पानी में।
- ओ अनुरागी तुझे भेंट मे मैं क्या दूँ , तू ही है दाता तेरे सिवा विश्च में जो भी प्राणी है, वो है इक याचक तेरी अनुकम्पा की बारिश से जब भीगा मेरा आँचल सुधा कलश बन गई हाथ में जो थी मेरे जल की छागल दीपित हुईं दिशायें मेरी जिनपर परत जमी थी काली तेरे आशीषों स
- ओ अनुरागी तुझे भेंट मे मैं क्या दूँ , तू ही है दाता तेरे सिवा विश्च में जो भी प्राणी है, वो है इक याचक तेरी अनुकम्पा की बारिश से जब भीगा मेरा आँचल सुधा कलश बन गई हाथ में जो थी मेरे जल की छागल दीपित हुईं दिशायें मेरी जिनपर परत जमी थी काली तेरे आशीषों स...
- आह क्या सफ़र होता था कमाल का , सुराही और छागल का जमाना था वो , स्टेशन पर गाडी रुकते ही पानी के लिए भागमभाग, सुराही में डाल कर उसके खिडकी के किनारे रख देना , सुना था कि जितनी हवा लगती है सुराही को पानी उतना ठंडा हो जाता है , और वाह क्या होता था ठंडा ।
- आह क्या सफ़र होता था कमाल का , सुराही और छागल का जमाना था वो , स्टेशन पर गाडी रुकते ही पानी के लिए भागमभाग , सुराही में डाल कर उसके खिडकी के किनारे रख देना , सुना था कि जितनी हवा लगती है सुराही को पानी उतना ठंडा हो जाता है , और वाह क्या होता था ठंडा ।
- उन सब के माथे पर चांदी का मोटा सा बोरला , गले में भारी चांदी की हंसली , हाथों में काफ़ी ऊपर तक पौंची या बंगड़ी और कड़ों के साथ कांच , लाख और हाथी दांत की लाल हरी चूड़ियाँ , कमर में लटकती चांदी की मोटी कौंधनी ( करधनी ) और पैरों में चांदी के भारी मोटे कड़े या छागल आदि थे .