छान्दोग्य उपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आंगिरस धारा के ही हैं देवगुरु वृहस्पति और ऋषिशिरोमणि भृगु भी ! छान्दोग्य उपनिषद में देवकीपुत्र कृष्ण को घोर आंगिरस का शिष्य बताया गया है।
- आंगिरस धारा के ही हैं देवगुरु वृहस्पति और ऋषिशिरोमणि भृगु भी ! छान्दोग्य उपनिषद में देवकीपुत्र कृष्ण को घोर आंगिरस का शिष्य बताया गया है।
- छान्दोग्य उपनिषद कहता है कि राजा विश्वपति ने गर्व से घोषणा की थी - ” न मे स्तेनो जनपदे , न कर्दयो , न मद्यपो।
- वेद के पुरूष सूक्त में , प्रश्नोपनिषद में बृहदारण्यक उपनिषद में व छान्दोग्य उपनिषद में भी मनुष्य की विभिन्न 16 कलाओं का ही वर्णन है।
- छान्दोग्य उपनिषद कहती है , प्रत्येक मनुष्य प्रत्येक दिन ब्रह्म-लोक की यात्रा करता है (किंतु कोई विरला ही ब्रह्म का शुद्ध चेतना का अहसास कर पाता है)।
- छान्दोग्य उपनिषद ( 700 ईसा पूर्व ) में वैसे तो कर्मकांडों की भरपूर प्रशंसा है , लेकिन ‘ प्रथम अध्याय के अंत में दाल-रोटी के लिए ‘
- छान्दोग्य उपनिषद में उद्दालक - अरुणि ने गंधार का , सद्गुरु वाले शिष्य के अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुंचने के उदाहरण के रूप में उल्लेख किया है।
- छान्दोग्य उपनिषद में दुखी नारद को सनत् कुमार ने बताया यो वै भूमा तत्सुखम् - जो विराट है , वही आनंद है , इससे कम होना सुख नहीं।
- 34 ” style = color : blue > * / balloon > [[ छान्दोग्य उपनिषद ]] में आया है- ref > ' तस्मादेष एवं यज्ञस्तस्य मनश्च वाक् च वर्तिनी।
- समभावदर्शी धर्म की स्थापना करना । ईश । केन । कठ । प्रश्न । मुण्डक । मांडूक्य । ऐतरेय । तैत्तिरीय । बृहदारण्यक और छान्दोग्य उपनिषद पर भाष्य लिखना ।