जटित का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- महाभारत में पाताल देश के राजा का युद्घ में भाग लेने का उल्लेख है और वर्णन है ' मय ' दावन का , जिसने इंद्रप्रस्थ में अपने पाताल देश से लाए रत्नों से जटित पांडवों के अभूतपूर्व राजप्रासाद का निर्माण किया।
- विमान यहाँ से उड़ता हुआ उस स्थान पर उतरा , जहाँ एक स्वर्ण जटित, भासितरत्नों की आभा से मंडित मनोरम सिंहासन पर दैदीप्यमान वस्त्रों एवं रमणीय अलंकारों से अलंकृत तथा अपने अलौकिक रूप से दसों दिशाओं को प्रकाशित करती हुई एक महिमामंडित देवी विराजमान थीं।
- हे खेलों के महाराजा ! हम तुम्हारा रिपीट टेलीकास्ट देखने की इच्छा सुबह-शाम करते हैं, तुम्हारे बारे में चर्चा कर के लोक मण्डल में महामानास्पद होने की इच्छा करते हैं तुम्हारी जानकारियों को स्वर्ण जटित पत्र बक्स में रखने को स्पर्द्धा करते हैं, हे क्रिकेट!
- हे खेलों के महाराजा ! हम तुम्हारा रिपीट टेलीकास्ट देखने की इच्छा सुबह-शाम करते हैं, तुम्हारे बारे में चर्चा कर के लोक मण्डल में महामानास्पद होने की इच्छा करते हैं तुम्हारी जानकारियों को स्वर्ण जटित पत्र बक्स में रखने को स्पर्द्धा करते हैं, हे क्रिकेट!
- वह अत्यंत सुंदर रत्न और वैदुर्यमणि जटित स्वर्ण के खंभों पर निर्मित अनेक प्रकार की स्फटिक मणियों से सुशोभित भवन में बहुमूल्य वस्त्राभूषणों तथा छत्र व चँवर से विभूषित , गंधर्व और अप्सराअओं से युक्त सिंहासन पर आरूढ़ ऐसा शोभायमान होता था मानो दूसरा इंद्र विराजमान हो।
- वह अत्यंत सुंदर रत्न और वैदुर्यमणि जटित स्वर्ण के खंभों पर निर्मित अनेक प्रकार की स्फटिक मणियों से सुशोभित भवन में बहुमूल्य वस्त्राभूषणों तथा छत्र व चँवर से विभूषित , गंधर्व और अप्सराअओं से युक्त सिंहासन पर आरूढ़ ऐसा शोभायमान होता था मानो दूसरा इंद्र विराजमान हो।
- आगे चिंता पुर्णी माता ( स्वर्ण जटित मंदिर ) ओर प्रांगण के विशाल प्राचीन व्रक्ष जहां पुत्र की कामना से नाड़ा बांधते हें , दर्शन किया यहाँ हलवे का प्रसाद चढ़ाया जाता है , पर मान्यता के अनुसार प्रसाद वहीं बाँट-खाकर आते हें , घर नहीं लाते।
- अलंकृत हो रही है रजनी कर अधुनातन श्रृंगार हाटों के चाकचिक्य में रत्न जटित देह बैठे हैं बिकने को तैयार गुलाबी अट्टालिकाओं की दमकती गद्दियों पर लेटे , खोदते खुजलाते अपनी देह गिनते सुवर्ण पणक बंद कर दीवारों में कागजात मीठी नींद में उंघते उतराते प्रवर मैत्राक्ष
- अगर हम क्रान्तिकारी कवियों की बात करें तो “सियारामसरन गुप्त , श्रीधर पाठक, अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध आदि में भारतेन्दु जी का नाम मुख्य है उन्होंने अपनी कविता में अंग्रेजों की चाटुकारिता करने वाले शासकों को धिक्कारा है.”गले बाँधि इस्टार सब, जटित हीर मनि कोर,धावहु धावहु दौरि के कलकत
- वह अत्यंत सुंदर रत्न और वैदुर्यमणि जटित स्वर्ण के खंभों पर निर्मित अनेक प्रकार की स्फटिक मणियों से सुशोभित भवन में बहुमूल्य वस्त्राभूषणों तथा छत्र व चँवर से विभूषित , गंधर्व और अप्सराअओं से युक्त सिंहासन पर आरूढ़ ऐसा शोभायमान होता था मानो दूसरा इंद्र विराजमान हो ।