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जवाहिरात का अर्थ

जवाहिरात अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. अबकी दफे भीमसेन ने अपने ऐयारों के सिवाय और किसी को भी साथ न लिया , हां रुपये , अशर्फी या जवाहिरात की किस्म में से जहां तक उससे बना या जो कुछ उसके पास था लेकर ऐयारों को लालच भरी उम्मीदों का सब्जबाग दिखाता रवाना हुआ और थोड़ी दूर जाने के बाद ऐयारों के साथ ही उसने अपनी भी सूरत बदल ली।
  2. माया - एक तो दीवान साहब के पास अन्दाज से ज्यादे रुपये-अशर्फियों की तहबील नहीं रहती और जवाहिरात तो बिल्कुल ही उसके पास नहीं रहता , शायद आजकल गोपालसिंह के हुक्म से रहता हो मगर मुझे उम्मीद नहीं है , अस्तु जो चीज तू उससे मांगेगी वह अगर उसके पास न हुई तो उसे तुझ पर शक करने की जगह मिलेगी और ताज्जुब नहीं कि काम में विघ्न पड़ जाय।
  3. पिछले जमाने के आदमी अपनी कारीगरी का अच्छा-अच्छा नमूना छोड़ गये हैं - जैसे मिट्टी की मीनार , या नौशेरवानी बाग या जवाहिरात के पेड़ों पर चिड़ियों का गाना या आगरे का ताज जिसकी तारीफ में तारीख तुराब के बुद्धिमान लेखक ने किसी लेखक का यह फिकरा लिखा है जिसका संक्षेप यह है कि ' इसमें कुछ बुराई नहीं , यदि है तो यही है कि कोई बुराई नहीं ' ।
  4. बाकर अली हैरान कि इन लोगों ने अजब ऊधम मचा रखा है , कोई कहता है मेरी अशर्फियां गायब हैं , कोई कहता है मेरी जवाहिरात की गठरी गुम हो गई , कोई कहता है हम लुट गये , अब क्या किया जाय हम तो इस फिक्र में हैं कि जिस तरह हो ये लोग जल्द चुनार पहुंचें जिससे भीमसेन की जान बचे , मगर ये लोग तो खमीरी आटे की तरह फैले ही जाते हैं।
  5. इंद्रदेव ने इस तमाशे का पूरा-पूरा भेद सभों को समझाया और कहा कि ऐसे कई तमाशे इस तिलिस्म में भरे पड़े हैं , अगर आप चाहें तो इस काम में वर्षों बीत सकते हैं , इसके अतिरिक्त यहां की दौलत का भी यही हाल है कि वर्षों तक ढोते रहिए फिर भी कमी न हो , सोने-चांदी का तो कहना ही क्या है , जवाहिरात भी आप जितना चाहें ले सकते हैं , सच तो यों है कि जितनी दौलत यहां है उसके रहने का ठिकाना भी यहीं हो सकता है।
  6. इंद्रदेव ने इस तमाशे का पूरा-पूरा भेद सभों को समझाया और कहा कि ऐसे कई तमाशे इस तिलिस्म में भरे पड़े हैं , अगर आप चाहें तो इस काम में वर्षों बीत सकते हैं , इसके अतिरिक्त यहां की दौलत का भी यही हाल है कि वर्षों तक ढोते रहिए फिर भी कमी न हो , सोने-चांदी का तो कहना ही क्या है , जवाहिरात भी आप जितना चाहें ले सकते हैं , सच तो यों है कि जितनी दौलत यहां है उसके रहने का ठिकाना भी यहीं हो सकता है।
  7. अगले कुछ हफ्तों के लिए , सरकार, मीडिया और गैर सरकारी संगठन, छोटी ऊम्र के बच्चों कि संख्या पर काफी क्रोधित थे , इनकी ऊम्र 5-6 वर्ष ही थी जिनको बंधन से रिहा कराया गया.इस बचाव अभियान ने दुनिया की आँखें खोल दी , बाल श्रम जैसी बुराई सबसे बड़े लोकतंत्र की नाक के नीचे हो रहा था.आज हर किसी को दिल्ली के कारोबार में अवैध रूप से हजारों कि संख्या में बच्चे काम करते हैं जो कि जरी (हाथ की कढ़ाई), चमड़े के बैग बनाने, लाख (धातु जड़ना ) ,कृत्रिम और असली जवाहिरात बनाने जैसे काम करते हैं.
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