डंक मारना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भले ही हम वहां दूसरों पर इल्ज़ाम लगा कर अपना दामन बचा ले लेकिन जिसकी फितरत में डंक मारना लिखा हो वो डंक मार ही देता है हर साल कोई न कोई किसी तरह की रूकावट खड़ी ही कर देता है।
- भले ही हम वहां दूसरों पर इल्ज़ाम लगा कर अपना दामन बचा ले लेकिन जिसकी फितरत में डंक मारना लिखा हो वो डंक मार ही देता है हर साल कोई न कोई किसी तरह की रूकावट खड़ी ही कर देता है।
- उसने आदमी से कहा , “आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?”भले आदमी ने कहा, “बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना।
- उसने आदमी से कहा , “आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?” भले आदमी ने कहा, “बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना।
- जिस प्रकार केकड़े का स्वभाव डंक मारना होता है , पेड़ का स्वभाव पत्थर की चोट सहकर भी फल देना होता है, उसी प्रकार यह स्वभाव हर जाति, मज़हब के इंसानों में होता है लेकिन हिन्दुओं में यह भावना कूट-कूटकर भरी हुई है जिससे कभी वह विमुख नहीं होते।
- जिस प्रकार केकड़े का स्वभाव डंक मारना होता है , पेड़ का स्वभाव पत्थर की चोट सहकर भी फल देना होता है , उसी प्रकार यह स्वभाव हर जाति , मज़हब के इंसानों में होता है लेकिन हिन्दुओं में यह भावना कूट-कूटकर भरी हुई है जिससे कभी वह विमुख नहीं होते।
- पास से गुजरते एक राहगीर ने साधू महाराज से पूछा कि महाराज वो कीड़ा बार-बार आपको डंक मार रहा है , आप फिर भी उसे बचाने की व्यर्थ कोषिष क्यूं कर रहे हो ? साधू महाराज ने बड़ी ही नम्रतापूर्वक कहा , उस कीड़े का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है , जीवन बचाना।
- हमने भी शिक्षा ले ली , साधू और बिच्छु की कहानी से.हम भी डंक मारना सीख रहे हैं पर....आप जैसा कोई डूबने से बचाने वाला मिले तो...........वरना ऊ तो हमे पत्थर से कुछल ही देगा न? हा हा हा जियो और....यूँ ही 'मोटिवेट' करते रहो.जिंदगी बीत जायेगी और शायद 'उस' साधू का कुछ अंश गुण हम में भी आ जाये.
- हर इलाके में ऐसे कई बड़े-बड़े लोग होते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनका व्यवहार श्वानों से भी बदतर है , जो इनके पास जाता है उसे काटने के लिए दौड़ते हुए लगते हैं , साँपों की तरह फुफकारना , बि ' छू की तरह डंक मारना और जहर उगलना इनका स्वभाव ही बन गया है , कभी दुलत्ती झाड़ते हैं , कभी सिंग मारते हैं।
- इनकी लड़ाई के दांव-पेंच भी देखने के काबिल होते हैं . येअपने दुश्मन की आंख काटते हैं, चोंच में चोंच डालकर ज़बान काटते हैं, जिसे 'कुफल मारना' कहा जाता है, दुश्मन की खोपड़ी में चोंच मारने को 'डंक मारना' कहते हैं, एक ही स्थल पर बराबर आघात किए जाने का टेक्निकल नाम 'एक ठौरमारना' है और चंचल गति से दुश्मन के शरीर के हर भाग पर आघात करने को 'फड़कमार' कहते हैं.