डम-डम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित ( धोती) करती हैं, और जिनके गले में लंबे-लंबे बड़े-बड़े सर्पों की मालाएँ लटक रही हैं तथा जो शिवजी डमरू को डम-डम बजाकर प्रचंड तांडव नृत्य करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्याण करें।
- शिवम ॥1॥सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित ( धोती) करती हैं, और जिनके गले में लंबे-लंबे बड़े-बड़े सर्पों की मालाएँ लटक रही हैं तथा जो शिवजी डमरू को डम-डम बजाकर प्रचंड तांडव नृत्य करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्याण करें।
- सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित ( धोती ) करती हैं , और जिनके गले में लंबे-लंबे बड़े-बड़े सर्पों की मालाएँ लटक रही हैं तथा जो शिवजी डमरू को डम-डम बजाकर प्रचंड तांडव नृत्य करते हैं , वे शिवजी हमारा कल्याण करें।
- भावार्थ : रावण कृत शिव ताण्डव स्तोत्र सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित (धोती) करती हैं, और जिनके गले में लंबे-लंबे बड़े-बड़े सर्पों की मालाएँ लटक रही हैं तथा जो शिवजी डमरू को डम-डम बजाकर प्रचंड तांडव नृत्य करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्याण करें।
- शंकर जी के डमरू सेनिकले डम-डम अपरंपारशब्दों का अनंत संसारशब्द है तो सृजन हैसाहित्य है , संस्कृति हैपर लगता हैशब्द को लग गईकिसी की बुरी नजरबार-बार सोचता हूँलगा दूँ एक काला टीकाशब्द के माथे परउत्तर संरचनावाद और विखंडनवाद के इस दौर मेंशब्द बिखर रहे हैंहावी होने लगा हैउन पर उपभोक्तावादशब्दों की जगहअब शोरगुल हावी है !!- कृष्ण कुमार यादव
- डमड्डमड्डमड्डम न्निनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित ( धोती) करती हैं, और जिनके गले में लंबे-लंबे बड़े-बड़े सर्पों की मालाएँ लटक रही हैं तथा जो शिवजी डमरू को डम-डम बजाकर प्रचंड तांडव नृत्य करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्याण करें।
- शंकर जी के डमरू से निकले डम-डम अपरंपार शब्दों का अनंत संसार शब्द है तो सृजन है साहित्य है , संस्कृति है पर लगता है शब्द को लग गई किसी की बुरी नजर बार-बार सोचता हूँ लगा दूँ एक काला टीका शब्द के माथे पर उत्तर संरचनावाद और विखंडनवाद के इस दौर में शब्द बिखर रहे हैं हावी होने लगा है उन पर उपभोक्तावाद शब्दों की जगह अब शोरगुल हावी है !!
- जागरण संवाददाता , लुधियाना सिविल सिटी के चंद्र नगर में गणेश मंदिर सेवा सोसायटी ने गणेश महोत्सव के आखिरी दिन हवन करवाया। पंडित वेद नारायण शुक्ला ने मंत्रोच्चारण किया और भक्तों ने हवन में आहुति डाली। इसके बाद 'आ जाओ भोले बाबा मेरे मकान में तेरा डम-डम डमरू बाजे सारे जहान में' भजन ने सब को झूमने पर मजबूर कर दिया। बाद में लंगर वितरित किया गया। इस अवसर पर विजय सचदेवा, पंकज अरोड़ा, मोनिका अरोड़ा, आदर्श शर्मा, रंजना व अनामिका सहगल उपस्थित रहे। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो