तद्भव शब्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तद्भव शब्द गुट के आधार पर निर्गुट बनाया जा सकता है , तो उर्दू शब्द अक्ल के आधार पर निरक्ल या अक्लविहीन में क्या बुराई है ?
- भाषा में जो तत्सम शब्द बचे रह जाते हैं उसकी वजह उनमें निहित अर्थ शक्ति होती है अथवा तद्भव शब्द में अलग अर्थवत्ता का विकसित हो जाना भी है।
- किसी बहुत बड़े मौलवी या पंडित की बात छोड़िये , साधारण सिंधी जनता जिस ठेठ सिंधी को व्यवहार में लाती है , उसमें 80 प्रतिशत तद्भव शब्द ही रहते हैं .
- तद्भव शब्द : संस्कृत से उद्भूत शब्द जिनका परिवर्तित रूप हिन्दी में प्रयोग किया जाता है यथा - निद्रा से नींद, छिद्र से छेद, अर्ध से आधा, अग्नि से आग आदि ।
- संस्कृत के तत्सम , तदभव और देशज शब्दों के साथ साथ आरबी, फारसी, ग्रीक, अंग्रेजी, पुर्तगाली के तद्भव शब्द भी और कभी कभी तत्सम और देशज शब्द भी उसमें लिए गए हैं ।
- तद्भव शब्द जो उसके आधार हैं , निकल जावेंगे और संस्कृत-शब्द ही अर्थात् तत्सम शब्द ही उसमें भर जाएँगे , जो दुरूहता और असुविधा के जनक होंगे और मुहावरों को मटियामेट कर देंगे।
- 4 . अन्य भाषा के शब्द तथा दूसरे देशज वे सब शब्द भी ले लिये गये हैं , जो सर्वसाधारण में प्रचलित हैं और जिनका व्यवहार हिंदी तद्भव शब्द के समान जनता में होता है , केवल इतना धयान अवश्य रखा गया है कि वे हिंदी ' टाइप ' के हों।
- तद्भव शब्द के लिए यह आवश्यक नहीं है , कि जिस रूप में वह प्राकृत में था , उस रूप को बदलकर हिन्दी में आवे , तभी तद्भव कहलावे , यदि उसने अपना संस्कृत रूप बदल दिया है और प्राकृत रूप में ही हिन्दी में आया है तो भी तद्भव कहलावेगा।