तनक़ीद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कम्प्यूटर से निकले फोटो की तरह मुस्कुराए फिर कहने लगे कि एक नुक्ता समझ लो , अगर किसी की बुराई जुबानी की जाए तो ग़ीबत है और उसे तहरीर के जे़वरात से आरास्ता कर के क़ाग़ज के राज सिंहासन पर बिठा दो तो तनक़ीद कहलाती है .
- और अगर हम पिछले चार-पांच साल को ही लें तो मेरे ख़याल में फ़ैज़ की दस्ते-सबा , ज़िंदांनामा, नदीम काज़मी की शोला-ए-गु़ल , सरदार जाफ़री की पत्थरों की दीवार, एहतेशाम हुसैन की तनक़ीद और अमली तनक़ीद, और मजनूं गोरखपुरी की नकुश वाफ़कार आदि किताबें इस दौर में काफ़ी लोकप्रिय हुईं।
- और अगर हम पिछले चार-पांच साल को ही लें तो मेरे ख़याल में फ़ैज़ की दस्ते-सबा , ज़िंदांनामा, नदीम काज़मी की शोला-ए-गु़ल , सरदार जाफ़री की पत्थरों की दीवार, एहतेशाम हुसैन की तनक़ीद और अमली तनक़ीद, और मजनूं गोरखपुरी की नकुश वाफ़कार आदि किताबें इस दौर में काफ़ी लोकप्रिय हुईं।
- नक़्क़ादों को हमेशा दूकान कहते थे , और तनक़ीद को लाल पेड़ा .... जब कोई इस तरकीबो-तलमीह के बारे मे पूछता तो कहते कि हफ़्ते भर की बची हुई मिठाई को फिर से फेंट लपेट कर लाल पेड़ा तैयार किया जाता है और तनक़ीद भी झूठी सच्ची लफ़जि़यात से तैयार की जाती है .
- नक़्क़ादों को हमेशा दूकान कहते थे , और तनक़ीद को लाल पेड़ा .... जब कोई इस तरकीबो-तलमीह के बारे मे पूछता तो कहते कि हफ़्ते भर की बची हुई मिठाई को फिर से फेंट लपेट कर लाल पेड़ा तैयार किया जाता है और तनक़ीद भी झूठी सच्ची लफ़जि़यात से तैयार की जाती है .
- एक दिन किसी ने इत्तिफ़ाक़न पूछ लिया कि हकीम साहब अदब में अब बड़े लोग क्यों नहीं पैदा हो रहे हैं , ये सवाल सुनते ही बच्चों की तरह खिलखिला कर हंस दिए फिर फरमाया कि अदब में बड़े लोग इसलिए पैदा नहीं हो रहे हैं कि हमारी तनक़ीद छोटे लोगों पर लिख रही है , हर शायर अपने साथ खुद साख़्ता कि़स्म के नक़्क़ाद लेकर चलता है .
- मैंने अगर अपने एक मज़मून में इस बात का ज़िक्र किया तो बहुत से लोग मुझे देख के रस्ता बदलने लगे और आख़िर विवश हो यही लिखना पड़ा : -उल्टे - सीधे काफ़िये , उस पे ग़लत रदीफ़ !कह दी सच्चीबात तो , शायरको तकलीफ़ !!आलोचना करने वाले माहिर लोग भी सिर्फ़ ये सोच के कि हम क्यूँ बे-वजह बुरे बने और अपनी तनक़ीद में तारीफ़ के पुल बाँधने लग जाते है !
- थोड़ी देर तक इधर उधर देखते रहे फिर बोले कि उर्दू तनक़ीद निगारों का यही तो फूहड़पन है कि ज़बानों बयान , मुहावरे बंदी , तलमीहात , इबहाम और इशारियत से कतई नावाकिफ होते है और उर्दू तनक़ीद में अंग्रेजी के कुछ गढ़े हुए जुमले और झूठे सच्चे फार्मी अण्डे जैसे अंग्रेजों का नाम लिख कर उर्दू शायरी को कीट्स , वुड्ज वर्थ की शायरी के बदन का मैल साबित करने की कोशिश करते हैं .
- थोड़ी देर तक इधर उधर देखते रहे फिर बोले कि उर्दू तनक़ीद निगारों का यही तो फूहड़पन है कि ज़बानों बयान , मुहावरे बंदी , तलमीहात , इबहाम और इशारियत से कतई नावाकिफ होते है और उर्दू तनक़ीद में अंग्रेजी के कुछ गढ़े हुए जुमले और झूठे सच्चे फार्मी अण्डे जैसे अंग्रेजों का नाम लिख कर उर्दू शायरी को कीट्स , वुड्ज वर्थ की शायरी के बदन का मैल साबित करने की कोशिश करते हैं .
- फिर सबसे अफ़सोस की बात ये है कि हम ने उर्दू के हर तनक़ीद निगार को कई चीजे़ बेचते और बहुत सी ज़रूरी ओैर गैर जरूरी चीजें़ खरीदते देखा है लेकिन आज तक यानी 68 बरस की उम्र होने को आ गई , उसे कोई उर्दू रिसाला , कोई शेरी मजमूआ , कोई कहानियों की किताब यहां तक कि उर्दू का अख़बार भी ख़रीदते नहीं देखा और जिस ज़बान के अदीब व दानिशवर उर्दू ज़बान की बक़ा के लिए सौ पचास रुपये नहीं ख़र्च कर सकते , उस ज़बान की हिफ़ाज़त की गारंटी कौन ले सकता है .