तर्क-शक्ति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस प्रतिमान की मान्यता है कि छात्र के व्यवहारों में सामाजिकभावना तथा दक्षता का विकास करने में बालक की तर्क-शक्ति तथासमस्या-समाधान करने की शक्ति का महत्त्वपूर्ण योग है इसलिए छात्रों मेंसामाजिक भावना का विकास करने लिए उनमें तर्क व समस्या समाधान शक्ति काविकास करना चाहिए .
- इस प्रक्रिया में हम अपनी आत्मा को और अपनी तर्क-शक्ति को गिरवी रखते हैं , सोच को कुंठित होने देते हैं और अज्ञानता के उस गर्त में गिरते चले जाते हैं जहाँ से हम तो बाहर निकलते हीं नहीं अपने परिवार को भी नहीं निकलने देते .
- हमें एक चींटी की तरह बनना होगा - यदि चीनी और रेत का मिश्रण पड़ा हो तो चींटी क्या करेगी ? रेत और चीनी को अलग करके रेत से बांबी बनाएगी और चीनी का उपभोग करेगी - हमें भी यही करना होगा | अपनी भेद और तर्क-शक्ति का उपयोग करना होगा |
- हमने जो कहा था उसका अर्थ यही है कि शुध्द तर्क-शक्ति या ज्ञानशक्ति-सी वस्तु इस दुनिया में कोई नहीं है , मतलब यही कि बुद्धि से अनुभव कुछ करते हैं किंतु उसके साथ ही ह्दय के भावों आदि का सदा हम लोगों पर प्रभाव पड़ता है और इस कारण से केवल बुद्धि ही से हम नहीं प्रेरित होते।
- राजनीति-शास्त्र के ज्ञाताओं का मानना है कि जिस समाज में तर्क-शक्ति कुंठित तथा बाधित हो और जो अनिर्लिप्त भाव से तथ्यों को ना देखता हो , जिसमे “ सेंस ऑफ टाइम ” ( याने कब क्या बोलना चाहिए की समझ ) ना हो , जो व्यंग्य और सपाट बयानी में फर्क ना कर पाता हो वह समाज प्रजातंत्र ऐसी उत्कृष्ट अवधारणा को पूर्णतः अंगीकार नहीं कर सकता और नहीं उसका पूरा लाभ उठा सकता है .
- ( ज्यादातर ) श्रद्धा-स्थलों में तर्क को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता , और जो अपनी तर्क-शक्ति पर फ़क्र करते हैं वे श्रद्धा का मूल्य नहीं समझते | दोनों में से किसी एक की कमी जीवन में बाधक बन सकती है - हमें श्रद्धा और तर्क दोनों की आवश्यकता है | और इसी को आध्यात्मिकता कहते हैं | आध्यात्मिकता में तर्क और श्रद्धा का दोनों का समन्वय होता है जिससे हृदय और मस्तिष्क दोनों समृद्ध होतें हैं |