तलफ़्फ़ुज़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- [ 14] वैसे ही जैसे लता मंगेशकर ने बाक़ायदा उस्ताद रखकर उर्दू सीखी थी, क्योंकि नौशाद साहब ने ग़ज़ल सुनने का इसरार करके दरअसल उनका तलफ़्फ़ुज़ जाँचना चाहा था, और दिलीप कुमार उर्फ़ युसुफ़ ख़ान ने पहली ही मुलाक़ात में यह जानने पर कि वह फ़िल्मों में काम करना चाहती हैं, पूछा था कि उर्दू जानती हो।
- [ 14 ] वैसे ही जैसे लता मंगेशकर ने बाक़ायदा उस्ताद रखकर उर्दू सीखी थी , क्योंकि नौशाद साहब ने ग़ज़ल सुनने का इसरार करके दरअसल उनका तलफ़्फ़ुज़ जाँचना चाहा था , और दिलीप कुमार उर्फ़ युसुफ़ ख़ान ने पहली ही मुलाक़ात में यह जानने पर कि वह फ़िल्मों में काम करना चाहती हैं , पूछा था कि उर्दू जानती हो।
- तलफ़्फ़ुज़ की सफ़ाई में तो रफ़ी साहब बेजोड़ हैं ही , भाव-पक्ष को भी ऐसे व्यक्त कर गए हैं कि कोई गुजराती भाषी गायक भी क्या करेगा.मज़ा देखिये की एक क्षेत्रिय भाषा में गाते हुए रफ़ी साहब ने ज़रूर को जरूर ही गाया है ग़नी को गनी और जहाँ ळ गाना है वहाँ ल नहीं गाया है..एक ख़ास बात और...मक़्ते में एक जगह जहाँ श्वास की बात आई ..
- अगर साकिन ن या तनवीन के बाद با आ जाए तो नून मीम से बदल जायेगा और इसे ग़ुन्ना से अदा किया जायेगा जैसे انبياء ْ ي َ ن ْ ب ُ و ْ عا ً यहाँ पर नून तलफ़्फ़ुज़ में मीम ही पढ़ा जाता है और जैसे َ رح ِ يم ٌ ب ِ ك ُ م कि यहाँ तनवीन का नून भी तलफ़्फ़ुज़ में मीम पढ़ा जायेगा।
- अगर साकिन ن या तनवीन के बाद با आ जाए तो नून मीम से बदल जायेगा और इसे ग़ुन्ना से अदा किया जायेगा जैसे انبياء ْ ي َ ن ْ ب ُ و ْ عا ً यहाँ पर नून तलफ़्फ़ुज़ में मीम ही पढ़ा जाता है और जैसे َ رح ِ يم ٌ ب ِ ك ُ م कि यहाँ तनवीन का नून भी तलफ़्फ़ुज़ में मीम पढ़ा जायेगा।
- मेरी बुनियादी तालीम हिन्दी , अंग्रेजी,संस्कृत से हुई है और उर्दू की कोई खास तमीज़-ओ-तहजीब नहीं.बस एक मुहब्बत है उर्दू से ..उर्दू का अदब आशना हूँ ।.हो सकता है मेरी इस कोशिश में तलफ़्फ़ुज़ मुत्तलिक़ ग़लतियाँ नज़र आये,अहले कारीं (पाठक गण) से गुज़ारिश है कि उसे नज़र अन्दाज़ कर मुझे आगाह कर दें तो मै मम्नून-ओ-मुतशक्किर (आभारी और शुक्रगुज़ार) रहूँगा ताकि खुद को दुरुस्त कर सकूँ....” आप सभी अहबाब का तालिब-ए-दुआ आनन्द.पाठक जयपुर
- मेरी बुनियादी तालीम हिन्दी , अंग्रेजी,संस्कृत से हुई है और उर्दू की कोई खास तमीज़-ओ-तहजीब नहीं.बस एक मुहब्बत है उर्दू से ..उर्दू का अदब आशना हूँ ।.हो सकता है मेरी इस कोशिश में तलफ़्फ़ुज़ मुत्तलिक़ ग़लतियाँ नज़र आये,अहले कारीं (पाठक गण) से गुज़ारिश है कि उसे नज़र अन्दाज़ कर मुझे आगाह कर दें तो मै मम्नून-ओ-तश्क्कुर (आभारी और शुक्रगुज़ार) रहूँगा ताकि खुद को दुरुस्त कर सकूँ....आखिर उर्दू ज़बान है....“आती है उर्दू ज़बाँ आते-आते” आप सभी अहबाब का तालिब-ए-दुआ आनन्द.पाठक जयपुर