तश्नगी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- नदी के ख़्वाब दिखायेगा तश्नगी देगा खबर न थी वो हमें ऐसी बेबसी देगा नसीब से मिला है इसे हर रखना कि तीरगी में यही ज़ख्म रौशनी देगा तुम अपने हाथ में पत्थर उठाये फिरते रहो मैं वो शजर हूँ जो बदले में छाँव ही देगा पत्थर के बदले छाँव देने वाले इस बेहतरीन शायर से मेरी मुलाकात जयपुर में पिछले आठ वर्षों से लगातार आयोजित हो रही “काव्य लोक ” की एक गोष्ठी में हुई .
- आबादियों में दश्त का मंज़र भी आएगा गुज़रोगे शहर से तो मेरा घर भी आएगा अच्छी नहीं नज़ाकत-ए-एहसास इस क़दर शीशा अगर बनोगे तो पत्थर भी आएगा सेराब हो के शाद न हो रेहरवान-ए-शौक़ रस्ते में तश्नगी का समन्दर भी आएगा दैर-ओ-हरम मे खाक उड़ाते चले चलो तुम जिसकी जुस्तुजू में हो वो दर भी आएगा बैठा हूँ कब से कूंचा-एक़ातिल में सरनिगूँ क़ातिल के हाथ में कभी खंजर भी आएगा सरशार हो के जा चुके यारान-ए-मयकदा साक़ी हमारे नाम का साग़र भी आएगा 2 .
- इक ग़ज़ल उस पे लिखूँ दिल का तकाज़ा है बहुत इन दिनों ख़ुद से बिछड़ जाने का धड़का है बहुत रात हो दिन हो ग़फ़लत हो कि बेदारी हो उसको देखा तो नहीं है उसे सोचा है बहुत तश्नगी के भी मुक़ामात हैं क्या क्या यानी कभी दरिया नहीं काफ़ी , कभी क़तरा है बहुत मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह मैं ने पत्थर की तरह ख़ुद को तराशा है बहुत कोई आया है ज़रूर और यहाँ ठहरा भी है घर की दहलीज़ पे ऐ 'नूर' उजाला है बहुत