तारुण्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जिज्ञासा जो ‘ बाल्यकाल , नवयौवन और तारुण्य के विभिन्न उषःकालों में हृदय का छोर खींचती हुई , आकर्षण के सुदूर ध्रुव-बिंदुओं से हमें जोड़ देती है।
- शीशम के तारुण्य का आलिंगन करती लता रस का अनुरागी भ्रमर कलियों का पूछता पता सिमटी सी खड़ी भला सकुचायी शकुन्तला मानो दुष्यन्त आ गया देखो बसन्त आ गया।
- अब सहा नहीं जाता विकला बावरिया बरसाने वाली - क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवनवन के वनमाली ॥43॥ सुधि करो प्राण ! कहते “मृदुले! तारुण्य न फ़िर फ़िर आता है।
- क्या मैं त्याग-तपस्या की भव्यमूर्ति नहीं लगती हूँ ? उनके प्रौढ़मुख के तारुण्य के आकर्षण ने अथवा पत्नीत्व के बोध ने उस क्षण मुझ में घनीभूत अधिकार भावना जगा दी।
- यह तारुण्य जीवन से विरक्त नहीं होता , संघर्ष से पराजय नहीं मानता , प्रतिकूल परिस्थितियों से पराङ्मुख नहीं होता और कर्म को किसी कल्पित स्वर्ग नरक का प्रवेशपत्र नहीं बनाता।
- अंगज अलंकारों में नायिकाओं के उन आंगिक विकारों या क्रियाव्यापारों को परिगणित किया जाता है जिनसे तारुण्य प्राप्त करने पर उनके मन में उद्भूत एवं विकसित काम भाव का पता चलता है।
- वे इसे मानवता के तारुण्य का ऐसा उच्छल प्रपात मानती हैं जो अपने दुर्वार वेग को रोकने वाली शिलाओं पर निर्मम आघात करता और मार्ग देने वाली कोमल धरती को स्नेह से भेंटता हुआ आगे बढ़ता है।
- लेखन के प्रवाह ने कई बार त्रिपथगा की धारा से होड़ लेकर कई पत्र भी लिख डाले- बस अंतः की अभिव्यक्ति , गहरे उच्छवास , रूप-वंदना से परिपूर्ण , किंतु सत्य , श्लील और तारुण्य को इंगित करते हुए।
- इस रचना में कवि ने भारतवासियों को ‘ वर्चस्वी ' , ‘ दुर्धर्ष ' , ‘ तारुण्य के अविचल उपासक ' और ‘ श्रम-भाव तेजोदृप्त ' आदि विशेषणों से सम्बोधित करके अपनी निर्माण-कामना , जन-प्रियता और श्रम-साधना का परिचय दिया है।
- तारुण्य और सौंदर्य से युक्त , सुवर्णहार , तांबूल , पुष्प आदि से सुशोभित स्त्री तब तक अपने प्रियतम से मिलने नहीं जाती , जब तक कि वह दशपुर के बने पट्टमय ( रेशम ) वस्त्रों के जोड़े को नहीं धारण करती।