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तिरोधान का अर्थ

तिरोधान अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. रामचन्द्रजी ने कहाः परमप्रेमास्पद आत्मतत्त्व की तिरोधान होने के कारण अंधकारपूर्ण रात्रिरूपी दुरन्त तृष्णा से इस चेतनात्मक गगन में जीव में अनेक तरह की राग आदि दोष स्वरूप उल्लुओं की पंक्तियाँ स्फुरने लगती हैं।।
  2. न तो सहम का निर्धारण , न ही आवश्यकता के अनुसार षोडशोत्तरी या अष्टदशोत्तरी दशा का विवरण , न तात्कालिक प्रत्यक्ष एवं सिद्धांत का अंतर एवं उसका अंतराल तिरोधान , न तात्कालिक अंशात्मक त्रुटि का सामंजस्यीकरण।
  3. प्रेमचंद के ‘ दुर्गादास ' ( 1938 ) और चतुर सेन शास्त्री के ‘ राणा राज सिंह ' ( 1939 ) ने तो ऐयारी-तिलस्मी-जासूसी साहित्य का तिरोधान करा दिया और यहीं से यह परंपरा समाप्त हो गयी।
  4. वास्तव में भगवद्-इच्छा में आनन्द का अंश तिरोहित होने के कारण ही ब्रह्म के इस अंश को जीव संज्ञा ( नाम) प्राप्त होती है और आकार प्रदान करने वाले आनन्द के तिरोधान के कारण ही उसे निराकार (तिरोहितानन्द) भी माना जाता है।
  5. रामायण में जो तीन कथाएं हैं , उनके नायक क्रमश : राम , रावण और हनुमान , हैं , और ये तीन चरित्र तीन संस्कृतियों के प्रतीक हैं , जिनका समन्वय और तिरोधान वाल्मीकि ने एक ही काव्य में दिखाया है।
  6. वास्तव में भगवद्-इच्छा में आनन्द का अंश तिरोहित होने के कारण ही ब्रह्म के इस अंश को जीव संज्ञा ( नाम ) प्राप्त होती है और आकार प्रदान करने वाले आनन्द के तिरोधान के कारण ही उसे निराकार ( तिरोहितानन्द ) भी माना जाता है।
  7. तीनों लोकों से विलक्षण आपकी ईश्वरता है , आप महान शासकों के भी शासक हैं, आप जगत् का तिरोधान करने वाले हैं, आप वेद के द्वारा बताए जाते हैं और चन्द्रशेखर आदि पच्चीस रूप होने पर भी उनसे परे हैं इसलिए आप महेश्वर कहे जाते हैं।
  8. बहुजन राज में उत्तर प्रदेश में जाति के आधार पर सबसे ज्यादा उत्पीड़न हुये तो अंबेडकर जन्मदिन और अंबेडकर तिरोधान दिवस को गणेशोत्सव की तर्ज पर धूम धड़ाके से मनाने वाले मराठी मूल निवासी रिपब्लिकन पार्टी और बामसेफ के हजार धड़ों के अलावा हजारों संगठनों में खंडित विखंडित हैं।
  9. दे देने की उदार और मानवीय गरिमा के सर्वोत्तम भाव का जब लगभग तिरोधान हो चुका है और विज्ञापनों की मायावी और अ-वास्तविक दुनिया में बैठे हम लोग क्या केवल एक सेमीनार के लिए ही इन कवियों को याद कर रहे हैं या मुट्ठियों से फिसल रही अपनी संवेदनाओं को बचाने के लिए उन्हें बार-बार याद करना चाहते हैं।
  10. ऐश्वर्य धर्म के लोप हो जाने से जीव में पराधीनता और दीनता , वीर्य धर्म के लोप से दुःख प्राप्ति, यश धर्म के लोप से हीनता, श्री धर्म के लोप से जन्म-मरण-रूप आपत्ति, ज्ञान धर्म के तिरोधान से देहादि में अहंबुद्धि और विपरीतज्ञान तथा वैराग्य धर्म के तिरोधान से विषयों में आसक्ति पैदा होती है, जिसके परिणामस्वरूप जीव अज्ञानग्रस्त होकर बन्धन में पड़ जाता है।
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