दुन्दुभी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- क्या उत्थान कि दुन्दुभी पीटने वाली सरकारे -ऐसे लोगो के लिए कुछ नहीं कर सकती ? और भी बहुत कुछ , पर यह बृद्ध व्यक्ति निस्वार्थ , दूसरो कि गन्दगी साफ करते हुए , जीने की राह पर अग्रसर है !
- जहाँ राज्य में मायावती को उनके चुनाव चिन्ह हाथी को ढकते हुए एक न्यायपूर्ण चुनाव की दुन्दुभी बजायी वही पर आम जनता को भी चुनाव के बाद गंदे हो रहे दीवार और वातावरण से शोर का भी खात्मा करा दिया .
- इस कहानी के ब्यौरे एक तरफ प्रेमचन्द की भूलती जाती परम्परा की याद दिलाते हैं तो दूसरी तरफ जैव प्रौद्योगिकी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की दुन्दुभी से भरे नितान्त आधुनिक समय में किसान की स्थिति पर ध्यान भी आकर्षित कराते हैं .
- योगीराज , सिद्ध , मुनीश्वर और देवताओं ने प्रभु श्री रामचन्द्रजी को देखकर दुन्दुभी बजाई और हर्षित होकर फूलों की वर्षा करते हुए तथा ' जय हो , जय हो , जय हो ' कहते हुए वे अपने-अपने लोक को चले॥ 4 ॥
- कौशल विजय जी बहुत सुन्दर आवाहन आप का हमारे प्यारे अन्ना जी के साथ आओ सब मिल दुन्दुभी बजा दें अपने हर स्तर से शुरुआत कर दें उन्हें अपने घर में हम पनाह न दें चाहे वे कोई क्यों न हो हमारे -
- अलग अलग दिनों में , अलग अलग वाद्यों के साथ [यथा चेंड़ा (विशेष प्रकार की ढोल), मंजीरा, शहनाई, दुन्दुभी आदि], अलग अलग ख्याति प्राप्त समूहों द्वारा ,विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के समय, एक विशिष्ट शास्त्रीय शैली में, वादन की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुतियां दी जाती हैं.
- “जय देवी यश : काय वरमाल लिये गाती थी मंगल-गीत, दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी, राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल सिरिस का ईर्ष्या, महदाकांक्षा, द्वेष, चाटुता सभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये, निखर आया था जीवन-कांचन धर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
- देश की राजधानी में दिन दहाड़े आतंकवादी अपने खतरनाक इरादों को अंजाम दे देते हैं और तरह-तरह के दावे करने वाले हमारे नेता और अपनी चाक चौबस्त रक्षा व्यवस्था की दुन्दुभी बजाने वाली हमारी पुलिस के आला अधिकारी ज़रूरत के वक्त नज़रें चुराते हुए दिखाई देते हैं !
- राजा ने अलग सुना : “जय देवी यश:काय वरमाल लिये गाती थी मंगल-गीत, दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी, राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल सिरिस का ईर्ष्या, महदाकांक्षा, द्वेष, चाटुता सभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये, निखर आया था जीवन-कांचन धर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
- चाणक्य के इस देश और “ यदा-यदा ही धर्मस्यः , ग्लानिर भवति भारतः .... ” का सन्देश देने वाली गीता की कसम खाने वाले भारतवासियों में यह विश्वास भी पक्का है की जब हद हो जायेगी , युग परिवर्तन होगा और लगता हैं कि युग परिवर्तन की दुन्दुभी बज चुकी है .