दुश्शासन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उसने अपनी शंका स्पष्ट की- पूछा अध्यापिका जी अगर गांधारी अपनी आंखों पर पट्टी नहीं बांधतीं और अपने बच्चों को ठीक से पढ़ातीं , होमवर्क करातीं तो उनके बच्चे दुर्योधन , दुश्शासन आदि इतने उद्दण्ड और क्रूर न होते।
- इतिहास साक्षी है , जब दुश्शासन भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण कर रहा था तब द्रौपदी ने कृष्ण को अपनी रक्षा के लिए पुकारा तो वे नंगे पांव दौड़े चले आए और भरी सभा में उसकी लाज बचाई।
- यह वर्ग ऐसा है जिस पर समाज भरोसा करता है , लेकिन इनकी कही गई इनकी बातों को सुना जाए तो पता चलेगा कि रावण और दुश्शासन तो यूँ ही बदनाम थे , उनका आदिम रूप तो ये हैं ।
- अस्सी करोड़ बेटों की माता की ह्त्या करनेवाले ! जो तुम्हे बनाकर दुश्शासन , उसका दुकूल हरनेवाले ! बन्दूक-तोप-गोला-गोली , कुत्सित विचार जो बाँट रहे ! जो जिह्वा घृणित बढ़ा माँ के , तन का शोणित है चाट रहे !! .
- आज तथा-कथित भारत में , लोग दुश्शासन ( दूषित शासन ) और दुर्योधन ( दूषित धन या बल ) से पीड़ित हैं , और राष्ट्र को धारण करने वाला धृत राष्ट्र , असंवेदनशील और मोह से ग्रसित व्यवस्था से पोषित है .
- औटो वाला दुश्शासन और उसके अग्रज का ( जो कलयुग में सिगरेटिये मित्र बन कर अवतरित हुये थे), अभिप्राय समझ गया था, और एक्सीलेटर बढ़ाने पर बस पकड़ मजबूत करने ही जा रहा था, पर हस्तिनापुर युवराज से कौन पंगा ले, उसने देखा ही नहीं।
- औटो वाला दुश्शासन और उसके अग्रज का ( जो कलयुग में सिगरेटिये मित्र बन कर अवतरित हुये थे), अभिप्राय समझ गया था, और एक्सीलेटर बढ़ाने पर बस पकड़ मजबूत करने ही जा रहा था, पर हस्तिनापुर युवराज से कौन पंगा ले, उसने देखा ही नहीं।
- राम और कृष्ण और शिव के तत्व चिंतन और आराधना का फल है , कि योरोप , अमेरिका , जापान आज विकसित देश कहलाते हैं , और कभी भारत के नाम से विख्यात इस राष्ट्र को दुश्शासन और दुर्योधन के बीभत्स भ्रष्टाचारी कार्यों से जाना जाता है .
- औटो वाला दुश्शासन और उसके अग्रज का ( जो कलयुग में सिगरेटिये मित्र बन कर अवतरित हुये थे ) , अभिप्राय समझ गया था , और एक्सीलेटर बढ़ाने पर बस पकड़ मजबूत करने ही जा रहा था , पर हस्तिनापुर युवराज से कौन पंगा ले , उसने देखा ही नहीं।
- मेरे दुश्शासन वो ख़त जो मैंने तुम्हें लिखे थे हाँ , वो अनकहे ख़त मैंने आज भी सहेज कर रखे हैं मेरी अलमारी में बिछे अखबार की तहों के भीतर आज अचानक वो फिर हाथ लग गये खो गयी थी मैं उन पुरानी बातों में मैंने देखा मेरी सुधियों का चीर थामे तुम आज भी निर्भीक