देवमानव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसी प्रकार परमात्मा की दिव्य ऊर्जा ( भर्ग ) को साधक जब अपने चिंतन , चरित्र और व्यवहार में रूपांतरित करता है , तब वह दिव्य विभूतियों का स्वामी महामानव , देवमानव बनने लगता है।
- इसी प्रकार परमात्मा की दिव्य ऊर्जा ( भर्ग ) को साधक जब अपने चिंतन , चरित्र और व्यवहार में रूपांतरित करता है , तब वह दिव्य विभूतियों का स्वामी महामानव , देवमानव बनने लगता है।
- यही कारण था कि बालकों से लेकर वृद्धों तक के संजीवनी विद्या का ज्ञान रहता था और वे उसका अनुकरण करते हुए उस स्तर के बनते थे , जिन्हें सच्चे अर्थों में देवमानव कहा जा सके।
- बलिवैश्व के क्रिया कृत्य का स्वरूप कितना ही छोटा क्यों न हो उसके पीछे यही महान- प्रेरणाएँ भरी पड़ी हैं , जिन्हें अपनाने के कारण अपने देश के नागरिक देवमानव कहलाने का श्रेय- सौभाग्य प्राप्त करते रहे हैं।
- इस अध्याय के १ ९ वें से २२ वें श्लोक तक एक ही ध्वनि गुंजित हो रही है - साधारण मानव दिव्यकर्मी - देवमानव कैसे बनें ? मुक्त पुरुष की सर्वोच्च उपलब्धि को कैसे प्राप्त करे ? मुक्त पुरुष वस्तुतः जीव की अहंभावजन्य प्रतिक्रियाओं से मुक्त होते हैं , वे आत्मा बन जाते हैं , प्रकृति से परे चले जाते हैं , वे भगवान् की अनंत सत्ता के एक विशुद्ध पात्र बन जाते हैं।
- देनी की प्रकृति वाली आत्माओं का जहाँ संगठन-समन्वय होता रहता है , उसी क्षेत्र को स्वर्ग के नाम से सम्भोधित किया जाने लगता है | इस प्रकार का लोक स्वर्ग के नाम से सम्भोधित किया जाने लगता है | इस प्रकार का लोक या स्थान कहीं भले ही न ही , पर सत्य है की सह्रदय , सेवाभावी , उदारचेता न केवल स्वयं देवमानव होते हैं , वरन कार्यक्षेत्र को भी ऐसा कुछ बनाए बिना नहीं रहते जिसे स्वर्गोपम अथवा सतयुग का सामायिक संस्करण कहा जा सके |