देवांगना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- { कुन्जिका- १ = मोक्ष , अमरता , परम ग्यान , परम-पद ; २ = देवांगना जयन्त की पत्नी थी , विष्णु भक्त थी , चित्रकूट में एक स्थान ( गांव ) देवान्गना है संभवतया वह जयंत का राज्य रहा होगा।
- अपना तपोभंग करनेवाली देवांगना को देख क्रुद्ध हो दुर्वासा ने शाप दिया , ” हे देव कन्ये , तुम मेरी तपस्या में विघ्न डालने के संकल्प से यहां पर आई हो , इसलिए तुम गरुड़ कुल में पक्षी बनकर जन्म धारण करोगी।
- वहीं आज धार्मिकग्रन्थों में उल्लेखित मोरजध्वज आश्रम , मड़फा आश्रम , देवांगना , कोटितीर्थ , सरभंग आश्रम , सुतिक्षण आश्रम , चन्द्रलोक आश्रम , रामसैया जैसे अनेक ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल अनेक समस्याओं के चलते चित्रकूट आने वाले करोड़ों धार्मिक एवं पर्यटनीय यात्रियों से दूर है।
- वहीं आज धार्मिकग्रन्थों में उल्लेखित मोरजध्वज आश्रम , मड़फा आश्रम , देवांगना , कोटितीर्थ , सरभंग आश्रम , सुतिक्षण आश्रम , चन्द्रलोक आश्रम , रामसैया जैसे अनेक ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल अनेक समस्याओं के चलते चित्रकूट आने वाले करोड़ों धार्मिक एवं पर्यटनीय यात्रियों से दूर है।
- उन्होंने मानिकपुर को तहसील का दर्जा देने , राजापुर , भरतपुर से सीतापुर , देवांगना घाटी , बेड़ी पुलिया से रामघाट , कर्वी-राजापुर मार्ग पर ओवरब्रिज निर्माण , रामघाट व परिक्रमा मार्ग तथा गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली राजापुर का सौन्दर्यीकरण किये जाने की घोषणा की।
- उन्होंने मानिकपुर को तहसील का दर्जा देने , राजापुर , भरतपुर से सीतापुर , देवांगना घाटी , बेड़ी पुलिया से रामघाट , कर्वी-राजापुर मार्ग पर ओवरब्रिज निर्माण , रामघाट व परिक्रमा मार्ग तथा गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली राजापुर का सौन्दर्यीकरण किये जाने की घोषणा की।
- हमारी तुम्हारी ऑंखों ने कभी नन्दनोत्सव की लीला नहीं देखी , लेकिन इसी भूतल पर एक दिन ऐसा उत्सव हो चुका है जिसको देख कर प्रकृति रजनी छ महीने तक ठगी रही , शत शत देवांगना , पारिजात के फूलों की वर्षा से नन्दन कानन को उजाड़ डाला ।
- बरखा किसी देवांगना के स्नात केशों से गिरे मोती विदाई में अषाढ़ी बदलियों ने अश्रु छलकाए किसी की पायलों के घुँघरुओं ने राग है छेड़ा किसी गंधर्व ने आकाशमें पग आज थिरकाए उड़ी है मिटि्टयों से सौंध जो इस प्यास को पीकर किसी के नेह के उपहार का उपहार है शायद
- बरखा किसी देवांगना के स्नात केशों से गिरे मोती विदाई में अषाढ़ी बदलियों ने अश्रु छलकाए किसी की पायलों के घुँघरुओं ने राग है छेड़ा किसी गंधर्व ने आकाशमें पग आज थिरकाए उड़ी है मिटि्टयों से सौंध जो इस प्यास को पीकर किसी के नेह के उपहार का उपहार है शायद . ..
- ब्रज का हर वृक्ष देव हैं , हर लता देवांगना है , यहाँ की बोली में माधुर्य है , बातों में लालित्य है , पुराणों का सा उपदेश है , यहाँ की गति ही नृत्य है , रति को भी यह स्थान त्याग करने में क्षति है , कण-कण में राधा-कृष्ण की छवि है , दिशाओं में भगवद नाम की झलक , प्रतिपल कानों में राधे-राधे की झलक , देवलोक-गोलोक भी इसके समक्ष नतमस्तक हैं।