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द्रोणगिरि का अर्थ

द्रोणगिरि अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. तब पवनतनय ने द्रोणगिरि पर जाकर प्रकाशमान् जड़ी-बूटियाँ लाकर दीं , जिनके प्रभाव से शक्ति निकल गयी और राक्षसों के प्रहार से जो वानर छिन्न-भिन्न देह वाले होकर मृत पड़े थे , वे भी जी उठे।
  2. जो संजीवनी के लिये द्रोणगिरि को ही उठा लाये थे , जो सुन्दर भव्य विभूतिसम्पन्न, श्रीराम-लक्ष्मण के सेवक-सहायकों में चक्रवर्तिशिरोमणि और मल्लवीर काशीपुरी के दक्षिण भाग-स्थित दिव्य भवन में विराजमान हैं, ऐसे महेश-रुद्रावतार भगवान् मारुति की जय हो।
  3. सदातोया युगल कठिन एवं ष्यामली सरिताओं के मध्य कुण्डलाकार पहाड़ पर स्थित तीस जैन मंदिरों वाले बुंदेलखंड के सेंधपा तीर्थ को सिद्ध तीर्थ द्रोणगिरि इसलिये कहा जाता है कि निर्वाण काण्ड में जिस द्रोणगिरि का उल्लेख निम्न प्रकार है-
  4. सदातोया युगल कठिन एवं ष्यामली सरिताओं के मध्य कुण्डलाकार पहाड़ पर स्थित तीस जैन मंदिरों वाले बुंदेलखंड के सेंधपा तीर्थ को सिद्ध तीर्थ द्रोणगिरि इसलिये कहा जाता है कि निर्वाण काण्ड में जिस द्रोणगिरि का उल्लेख निम्न प्रकार है-
  5. सदातोया युगल काठिन एवं ष्यामली सरिताओं के मध्य कुण्डलाकार पहाड़ पर स्थित तीस जैन मंदिरों वाले बुंदेलखंड के सेंधपा तीर्थ को सिद्ध तीर्थ द्रोणगिरि इसलिये कहा जाता है कि निर्वाण काण्ड में जिस द्रोणगिरि का उल्लेख निम्न प्रकार है-
  6. सदातोया युगल काठिन एवं ष्यामली सरिताओं के मध्य कुण्डलाकार पहाड़ पर स्थित तीस जैन मंदिरों वाले बुंदेलखंड के सेंधपा तीर्थ को सिद्ध तीर्थ द्रोणगिरि इसलिये कहा जाता है कि निर्वाण काण्ड में जिस द्रोणगिरि का उल्लेख निम्न प्रकार है-
  7. जो संजीवनी के लिये द्रोणगिरि को ही उठा लाये थे , जो सुन्दर भव्य विभूतिसम्पन्न , श्रीराम-लक्ष्मण के सेवक-सहायकों में चक्रवर्तिशिरोमणि और मल्लवीर काशीपुरी के दक्षिण भाग-स्थित दिव्य भवन में विराजमान हैं , ऐसे महेश-रुद्रावतार भगवान् मारुति की जय हो।
  8. गजपन्था , तुंगी , पावागिरि , द्रोणगिरि , मेडगिरी , सि ( वरकूट , बड़वानी आदि तीर्थ ऐसे हैं जिन्हें केवल दिगम्बर परम्परा ही मानती है और आबू , शंखेश्वर आदि कुछ ऐसे तीर्थ हैं जिन्हें श्वेताम्बर संप्रदाय ही मानता है।
  9. गजपन्था , तुंगी , पावागिरि , द्रोणगिरि , मेडगिरी , सि ( वरकूट , बड़वानी आदि तीर्थ ऐसे हैं जिन्हें केवल दिगम्बर परम्परा ही मानती है और आबू , शंखेश्वर आदि कुछ ऐसे तीर्थ हैं जिन्हें श्वेताम्बर संप्रदाय ही मानता है।
  10. हनुमान का पृथ्वी वास द्रोणगिरि के सिद्धाश्रम क्षेत्र में जब संजीवनी -संबंधी सारा कार्य भली भांति संपन्न हो गया तब अपनी शत-सहस्र शक्तियों को हनुमान जी ने अनंत कोटि शक्तियों में समाहित कर लिया और आत्मरूप में स्थित होकर श्रीराम-नाम के रूप का चिंतन करते हुए समाधिस्थ हो गए।
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