धन लोलुप का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ईसा की 18वीं सदी तक यह देश संसार भर के यात्रियों के लिए एक अपूर्व चमत्कार की जगह , कवियों के लिए उनकी उच्चतम कल्पनाओं का एक विषय और धन लोलुप जातियों के लिए उनकी लालसा का मुख्य केन्द्र बना हुआ था।
- उसे पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि पीटर इतना स्वार्थी कैसे बन गया ? वह पीटर को धन लोलुप तो मानती थी , लेकिन वह अपने स्वार्थ को ही श्रेय और श्रेष्ठ मानने की भूल भी करेगा , उसे यकीन न था।
- एक महिला को इस तरह के कितने चक्रों से गुजारा जाय ताकि उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव न पड़े , यह धन लोलुप डॉक्टरों द्वारा तय किया जाता है जो ज्यादातर मामलों में उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की अनदेखी करते हैं।
- धन लोलुप को कब दिखते हैं कन्या के गुण , कुलशील , प्रकृति हर चीज तौलना पैसे से , वह फैलाता है घोर विकृति क्वांरी कन्या की मूक हूक जिनको न सुनाई देती है लाचार पिता की मजबूरी जिनको न दिखाई देती है .
- आज अगर मानवीय भावनाओं से कटे हुए धन लोलुप इंसानों को कालाबाजारी करने का अवसर मिला है तो इसकी पूरी जवाबदेही प्रशासन की बनती है जिसकों पानी की बोतलों , खाद्य पदार्थों , माचिस , मोमबत्ती जैसे जरूरी सामानों का संग्रहण और वितरण अपने नियंत्रण में करना चाहिए था।
- पूरे पूरे दलित और पिछड़े चिन्तक परेशान है उक्त निक्कम्मे तथाकथित गुंडे नुमा छुटभैया नासमझ नेता नुमा लफंगों से , यह पूरे दलित और पिछड़े चिंतकों की ही जिम्मेदारी बनती है की इन धन लोलुप उपर्युक्त प्रकार के नेताओं का समाज बहिष्कार करे , यद्यपि यह काम बहुत मुश्किल है .
- लेकिन कुछ पारिवारिक परिस्तिथितियोँ और आज के कुछ भ्रष्ट एवम धन लोलुप पत्रकारों के आचार विचारों के कारण ये हो न सका ! आज कंप्यूटर के युग में अपने मन की पीड़ा/विचार / भावना व्यक्त करने का एक शशक्त माध्यम, ब्लॉग, ज्वाइन करने का विचार मेरे मित्र शिवम् मिश्र ने दिया ।
- तीन दिनों तक कम्प्यूटर में खराबी के बाद आज पुन; आप के बीच में उपस्थित हूँ |इस सर्ग की इस अन्तिम रचना में कुछ ' अमीर जादों' के धन से खरीदे गये धन लोलुप 'सौंदर्य' द्वारा देह व्यापार तथा हॉट म्यूजिक के नाम पर 'यौन अनावरण' की और ध्यान केंद्रित किया गया है |(सारे चित्...
- लेकिन कुछ पारिवारिक परिस्तिथितियोँ और आज के कुछ भ्रष्ट एवम धन लोलुप पत्रकारों के आचार विचारों के कारण ये हो न सका ! आज कंप्यूटर के युग में अपने मन की पीड़ा / विचार / भावना व्यक्त करने का एक शशक्त माध्यम , ब्लॉग , ज्वाइन करने का विचार मेरे मित्र शिवम् मिश्र ने दिया ।
- क्योंकि वर्तमान के हिरण्यआक्षों ( जिनकी आंखे सोने के सिक्कों पर लगी हो , यह उपमा शायद धन लोलुप उद्योगपतियों पर अधिक जचती है ) ने अपने लोभ में आकर पृथ्वी के पर्यावरण को इतना बिगाड़ दिया है कि शायद आने वाले समय में वराह ( भगवान विष्णु के अवतार ) भी पृथ्वी का उद्धार नहीं कर पायेंगे।