ध्यानयोग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- किंतु उससे भी पूर्व श्रीकृष्ण उसे ध्यानयोग की तैयारी के विषय में बता रहे हैं।
- जितना ध्यानयोग सम्पादित होगा- जितना मन परमात्मा में नियोजित किया जायेगा- सत्संस्कार एकत्र होते चले जायेंगे।
- युज्याद्योगमात्मविशुद्धये- गीता कहती है कि व्यक्ति अंत : करण शुद्धि के लिए ध्यानयोग का अभ्यास करे।
- कई प्रकार के योग- लययोग , कुंडलिनी योग, नादानुसंधान योग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग, टंक विद्या, आत्मविद्या, कर्मविद्या, भगवद्विद्या...
- वे फिर वे ज्ञानयोग की महत्ता बताते हुए भक्ति सहित ध्यानयोग का वर्णन भी करते हैं।
- ऐसी है ध्यानयोग की महिमा , जिसे अपनाने का संदेश योगेश्वर अपने शिष्य को दे रहे हैं।
- ध्यानयोग की साधना द्वारा समाधि का आनंद प्राप्त कर अंत में आत्मसाक्षात्कार करने की उसकी अभिप्सा थी ।
- इस संयोगावस्था को प्राप्त करने के लिए साधक सूर्य की उपासना करते हुए ' ध्यानयोग' का सहारा लेता है।
- इस संयोगावस्था को प्राप्त करने के लिए साधक सूर्य की उपासना करते हुए ' ध्यानयोग' का सहारा लेता है।
- कर्मयोग- ध्यानयोग का एक अनूठा संश्रोषित प्रयोग अध्याय छह के तीसरे व चौथे श्लोक में वासुदेव बताते हैं।