नक्काल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ये वो दौर था जब बाकी प्रकाशकों के लिए चाचा चौधरी , बिल्लू , पिंकी और कार्टूनिस्ट प्राण द्वारा रचे अन्य चरित्रों का सामना करना मुश्किल हो रहा था और कुछ नक्काल किस्म के प्रकाशक मामा श्री और काका श्री जैसे चरित्र बना कर चाचा चौधरी की सफलता भुनाने की कोशिश में थे .
- स्वच्छ सन्देश ; हिन्दोस्तान की आवाज़ नामी नक्काल , तुम्हें चैलेंज है कैरानवी की नक्ल करके दिखाओ, किसी ने इतने घाट का पानी पिया हो तो आओ नकलची बनके, लेकिन सोच लो कैरानवी का निराला अंदाज कहां से लाओगे, मेरा अनुमान है कि तुम सलीम खान नहीं हो वह नहीं लिख सकता 'जजिया दो मुझको'
- अंत में साम्प्रदायिकता और जातिवाद की ऐसी विजय हुई कि मुसलमानों में भी शेख , सैयद , मुगल , पठान नामक चार वर्ण एवं धुना , जुलाहे , हज्जाम , कुंजड़े कस्साब , कसगर , मोमिन , मीरासी , मनिहार , रंगरेज , दर्जी , गद्दी , डफाली , नक्काल इत्यादि नाना जातियां बन गयीं।
- अंत में साम्प्रदायिकता और जातिवाद की ऐसी विजय हुई कि मुसलमानों में भी शेख , सैयद , मुगल , पठान नामक चार वर्ण एवं धुना , जुलाहे , हज्जाम , कुंजड़े कस्साब , कसगर , मोमिन , मीरासी , मनिहार , रंगरेज , दर्जी , गद्दी , डफाली , नक्काल इत्यादि नाना जातियां बन गयीं।
- ये रहनुमा किसी के दम पर है खड़ा , ,, नक्काल पा रहा है तमगे ,,, सरफिरा वाले शेर शे ' र हों या मीरा , कबीर , तुलसी .... और ये तो बहुत सूक्ष्म है “ उम्मीद का सितारा पहले धुंधला ही होता है ” और मक्ता तो बस वही जो मक्ता हो जाये ये वही है।
- ये रहनुमा किसी के दम पर है खड़ा , ,, नक्काल पा रहा है तमगे ,,, सरफिरा वाले शेर शे ' र हों या मीरा , कबीर , तुलसी .... और ये तो बहुत सूक्ष्म है “ उम्मीद का सितारा पहले धुंधला ही होता है ” और मक्ता तो बस वही जो मक्ता हो जाये ये वही है।
- ये रहनुमा किसी के दम पर है खड़ा , ,, नक्काल पा रहा है तमगे ,,, सरफिरा वाले शेर शे ' र हों या मीरा , कबीर , तुलसी .... और ये तो बहुत सूक्ष्म है “ उम्मीद का सितारा पहले धुंधला ही होता है ” और मक्ता तो बस वही जो मक्ता हो जाये ये वही है।
- किसी धार्मिक व्यक्ति से पूछिए तो वो यही कहेगा कि ईश्वर से बड़ा नक्काल और कौन है उसने बस एक बार मनु और इला को बनाया और फिर जुट गया उसकी नक़ल बनाने में : ) सारे जीव / पूरी सृष्टि / पूरा ब्रह्मांड इस विधा का अदभुत उदाहरण है यह आप भी जानते हैं : )
- इस अवसर पर बोलते हुए प्रो . शर्मा ने विस्तार से आज के सांस्कृतिक संकट की व्याख्या की और यह कहा कि आत्महीनता, प्रदर्शन प्रियता, नक्काल वृत्ति, नग्नता के प्रसार तथा आपसी संबंधों के छीजने का कारण भूमंडलीकृत बाजारवाद में निहित है और इसका सामना करने के लिए हमे अपनी कुटुंब संस्कृति के मूल्यों को पुनः पारिभाषित और चरितार्थ करना होगा.