नख़लिस्तान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है , लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी अफ्रीका के किसी नख़लिस्तान या शायद दक्षिण पश्चिम एशिया में है।
- काश्गर , कशगार , काशगुर या काशी ( उईगुर : قەشقەر , चीनी : 喀什 , फारसी : کاشغر ) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान ( ओएसिस ) शहर है , जिसकी जनसंख्या लगभग ३ , ५ ० , ००० है।
- कौन लोग हैं जो शिक्षा की मशाल जलाये रखने के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से अपना व्यक्तिगत सुख त्यागकर इस तपोभूमि में अपनी ऊर्जा का प्रतिदान कर रहे है , वे कौन सी प्रेरक शक्तियाँ हैं जो महात्मा गान्धी के सेवाग्राम में देखे गये एक सपने को पूरा करने के लिए इस रेगिस्तान में नख़लिस्तान का निर्माण करा रही हैं।
- अपने पिछवाड़े नख़लिस्तान कुछ भी हो तुम चाहते हो के लिए , और एक झरना फव्वारा निश्चित रूप से अंतरिक्ष के दोनों दृश्य और भावनात्मक अपील में वृद्धि होगी चाहे आप एक बड़े सोता है कि अपने पूरे यार्ड का केन्द्र बिन्दु प्रदान करेगा या एक छोटे झरना है कि उच्चारण की मांग कर सकते हैं कर सकते हैं.
- कौन लोग हैं जो शिक्षा की मशाल जलाये रखने के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से अपना व्यक्तिगत सुख त्यागकर इस तपोभूमि में अपनी ऊर्जा का प्रतिदान कर रहे है , वे कौन सी प्रेरक शक्तियाँ हैं जो महात्मा गान्धी के सेवाग्राम में देखे गये एक सपने को पूरा करने के लिए इस रेगिस्तान में नख़लिस्तान का निर्माण करा रही हैं।
- हिन्दी-उर्दू की प्रमुख पत्रिकाओं हंस , कथन , काव्या , मधुमति , शेष , अभिव्यक्ति , समग्र दृष्टि , कथाबिंब , नई ग़ज़ल , सम्बोधन , अक्षर शिल्पी , गति , शबखून , शायर , नख़लिस्तान , तवाजुन , इन्तसाब जदीद फिक्रो-फन , परवाजे अदब , ऐवाने उर्दू , पेशरफ्त , असबाक़ आदि में उन की रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं और होती रहती हैं।
- हिन्दी-उर्दू की प्रमुख पत्रिकाओं हंस , कथन , काव्या , मधुमति , शेष , अभिव्यक्ति , समग्र दृष्टि , कथाबिंब , नई ग़ज़ल , सम्बोधन , अक्षर शिल्पी , गति , शबखून , शायर , नख़लिस्तान , तवाजुन , इन्तसाब जदीद फिक्रो-फन , परवाजे अदब , ऐवाने उर्दू , पेशरफ्त , असबाक़ आदि में उन की रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं और होती रहती हैं।
- लेकिन इसके बाद भी वाली के लिये यह ‘ ार्त है के माल की असल को बाक़ी रखे और सिर्फ़ इसके समरात को ख़र्च करे , वह भी उन राहों में जिनका हुक्म दिया गया है और जिनकी हिदायत दी गई है और ख़बरदार इस क़रिया के नख़लिस्तान में से एक पौदा भी फ़रोख़्त न करे यहां तक के वह ज़मीन में दोबारा बोने के लाएक़ न रह जाए।
- और मैं उंगली की पोर पर बैठा तिल हूं , अकेला, जैसे पूरे अंधेरे में आसमान पर अकेला बैठा हुआ तारा, किसी दूसरे तारे के इंतज़ार में बार-बार अपने गिरने को स्थगित करता, तेरे कानों की लौ में मैं बूंदा बनकर रहता हूं और तेरे लंबे केश में लट बनकर, जिसे सुलझाना तुम जानकर टाल देती हो, मैं झूठ-मूठ का रेगिस्तान हूं और तुम सचमुच का नख़लिस्तान, मैं तुममें इस तरह मिल जाऊं कि मेरी रेत का हर कण नन्हे हरे पत्ते में बदल जाए, मुट्ठी-भर बालू अंजुरी-भर पानी बन जाए...