नन्दन वन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस कन्या को अपनी पुत्री रूप में स्वीकार कर श्राद्धदेव अपनें आश्रम नन्दन वन में आए तब वहां रहनें वाले अन्य ऋषि मुनियों नें पूंछा यह कन्या कौन है तो श्राद्धदेव नें कहा यह सूर्य दक्षिणा है ।
- सूक्ष्मीकरण साधना के इस पुरुषार्थ के बलबूते ही हम यह कह सकते हैं कि छोटे-छोटे अकिंचन माने जाने वाले मनुष्य इतनी समर्थ भूमिका निभायेंगे कि पर्वत जैसी अवांछनीयताओं को उलट पाना एवं स्वाती नक्षत्र की वर्षा जैसी सत्प्रवृत्तियों का नन्दन वन उगा सकना सम्भव हो सके।
- पावस , गर्मी , पतझड़ भू के गौरव हैं , धरती का इनसे ही यौवन अभिनव है , समरसरंगी पर कभी न गुंजन छाया , मधु ऋतु का वैभव कभी न कम्पन लाया ! तुम चाहे नन्दन वन की सुषमा ला दो , मैं मधु ऋतु का सत्कार न करने दूँगी !
- देवभूमि उत्तराखण्ड में पतित पावनी माँ गंगा का उद्गम का भूगोल पुरी तरह से बदल रहा है , इसका इतना असर दिख रहा है कि आगे आने वाली पिढ़ी को गंगा के इतिहास में यह पढ़ना पड़ेगा कि गंगा गंगोत्री से न निकल कर गंगा ‘ नन्दन वन ‘ से निकलती है .
- “ दिनकर की ही भांति सी . नारायण रेड्डी ने भी गांधी जी के व्यक् तित्व को विराट मानकर यह कहा है कि उनकी दिव्य शक् ति के सान्निध्य में नरक स्वर्ग हो गया है - ” नरक में नन्दन वन लगाया है तूने / स्थिरों को सिंह शावक बनाया है तूने / मिट्टी और पत्थरों को वज्रों में परिवर्तित किया तूने।
- हे मेरे बेनामी सहृदय ! अगर हिन्दी साहित्य और भाषा के किसी धुरंधर जानकार का ठौर आपको नन्दनवन सरीखा लगता हो और यह शब्दों का खालिस सफर मृत्युलोकी वसुधा तो एक बात बताना जरूरी है कि - “ वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं , उसे जानता नहीं , उसे मानता नहीं । ”
- १९ ) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं : कस्बाई जिन्दगी में निखरता-बिखरता सहज-सा जीवन ! 'जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गय” की लीक लिये 'वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन ?, ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं, उसे जानता नहीं, उसे मानता नहीं' का श्लोक पढ़ता हुआ हिमांशु हूँ मैं ।
- इक और नया अवसर आया ख़ुशियों के पुष्प खिलाने का अंतस् की सब कटुता तजकर अपनों को गले लगाने का मन में जागे उल्लास नया जीवन में हो मधुमास नया उलझे-सुलझे संबंधों में फिर से पनपे विश्वास नया मुस्कानों की कलियाँ चटकें हर दिल में निस्पृह प्रीत उठे पावनता नयनों में उतरे मन में मधुरिम संगीत उठे हर जीवन के वातायन में चंदन बन महके नया साल आशाओं के नन्दन वन में चिड़िया सा चहके नया साल
- १ ९ ) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं : कस्बाई जिन्दगी में निखरता-बिखरता सहज-सा जीवन ! ' जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया , जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गय ” की लीक लिये ' वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन ? , ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं , उसे जानता नहीं , उसे मानता नहीं ' का श्लोक पढ़ता हुआ हिमांशु हूँ मैं ।
- पर्वतों में शेषाद्रि , आयुधों में सुदर्शन चक्र, पक्षियों में गरुड़, सर्पों में शेषनाग, प्राकृतिक भूतों में पृथ्वी, नदियों में गंगा, जलजों में पद्म, तीर्थों में कुरुक्षेत्र, सरोवरों में मानसरोवर, पुष्पवनों में नन्दन वन, धर्म-नियमों में सत्य, यज्ञों में अश्वमेघ, तपस्वियों में कुम्भज ऋषि, समस्त आगमों में वेद, पुराणों में 'मत्स्य पुराण', स्मृतियों में 'मनुस्मृति' , तिथियों में दर्श अमावस्या, देवों में इन्द्र, तेज में सूर्य, नक्षत्रों में चन्द्र, धान्यों में अक्षत (चावल), द्विपदों में विप्र (ब्राह्मण) और चतुष्पदों में सिंह सर्वश्रेष्ठ होता है।