नागकन्या का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- - वेबदुनिया डेस् क आज तक आपने इच्छाधारी नागिन या नागकन्या का रूप फिल्मों में ही देखा होगा , परंतु आज हम आपको ऐसी इच्छाधारी नागिन से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने नाग पति को पाने के लिए इस मृत्युलोक में साधना कर रही है।
- आकाश यानी सपने में रहने वाली वो और ज़मीन यानि निरा हकीकत में जीने वाला मैं ( पाताल नहीं , क्योंकि कई किम्वदंतियां पाताल से जुड़े हुए हैं जैसे , वहां बहुत सोना है , शेषनाग है , नागकन्या है आदि ) , हमारे बीच एक कई लोग हैं ..
- आकाश यानी सपने में रहने वाली वो और ज़मीन यानि निरा हकीकत में जीने वाला मैं ( पाताल नहीं , क्योंकि कई किम्वदंतियां पाताल से जुड़े हुए हैं जैसे , वहां बहुत सोना है , शेषनाग है , नागकन्या है आदि ) , हमारे बीच एक कई लोग हैं ..
- प्रश्न यह भी उठता है कि क्या नाग और गोंड भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ? संभवत : महाभारत की एक कथा इसका कोई उत्तर दे सके जिसके अनुसार दुर्योधन के एक भाई कर्ण नें मध्यप्रदेश की पचमढी के निकट किसी नागकन्या के प्रति आसक्त हो कर उससे विवाह कर लिया।
- फोटो गैलरी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें- स्वयं नागकन्या होने का दावा करने वाली माया का कहना है कि वह हर 24 घंटे में हवन के दौरान नागिन का रूप धारण कर अपनी तीन बहनों से मिलने जाती है जो उसे अपने नाग पति को पाने के लिए किस तरह साधना की जाए , यह निर्देश देती हैं।
- स्वाति से संबंधित अन्य शब्द और उनके अर्थ : स्वातिकारी = कृषि देवी, स्वातिगिरि = एक नागकन्या, स्वाति पंथ / पथ = आकाशगंगा, स्वातिबिंदु = स्वाति नक्षत्र में गिरि जल की बूँद, स्वातिमुख = एक समाधि, एक किन्नर, स्वातिमुखा = एक नागकन्या, स्वातियोग = आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में स्वाति नक्षत्र का चन्द्रमा के साथ योग, स्वातिसुत / सुवन = मुक्ता, मोती.
- स्वाति से संबंधित अन्य शब्द और उनके अर्थ : स्वातिकारी = कृषि देवी, स्वातिगिरि = एक नागकन्या, स्वाति पंथ / पथ = आकाशगंगा, स्वातिबिंदु = स्वाति नक्षत्र में गिरि जल की बूँद, स्वातिमुख = एक समाधि, एक किन्नर, स्वातिमुखा = एक नागकन्या, स्वातियोग = आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में स्वाति नक्षत्र का चन्द्रमा के साथ योग, स्वातिसुत / सुवन = मुक्ता, मोती.
- वनवास में तीर्थ यात्रा करते समय मध्य देश में उसको नागकन्या उलूपी प्राप्त हो गई | उसके साथ सहवास करके उसने एक पुत्र उत्पन्न किया था | जिसका नाम बभ्रुवाहन था | यह बालक अभिमन्यु की तरह ही महापराक्रमी था | अपने पिता अर्जन को न पहचानकर जब उसने उसी से युद्ध किया था , तब एक बार तो अपने पराक्रम से अर्जुन को भी मूर्च्छित करके उसे युद्धस्थल पर पटक दिया था |
- कामदेव को कहने का ना मौका मिले कि समय कम था या कामोद्यीपन का कोई सामान कम था जैसा प्रभु ने समझाया था वैसा ही वातावरण वहाँ पाया था ब्रज क्षेत्र तो छोटा पड़ता इसलिए योगमाया ने दिव्य वृन्दावन बनाया था क्योंकि ५ ६ करोड़ तो यादवों की स्त्रियाँ ही थीं इनके अलावा वेदों की ऋचाओं ने भी शरीर धारण किया ऋषि रूपा , गन्धर्व रूपा , देवताओं की पत्नियाँ नागकन्या आदि सभी इस रात्रि की बाट जोह रही थीं जन्म जन्मान्तरों की चाह पूरी करने को आतुर थीं