नादिम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- समकालीन रचनाओं को लें तो दक्षिण अफ्रीकी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित श्वेत लेखिका नादिम गार्डिमर की रचनाओं में वहां के समाज में फैली या कहना चाहिए वहां के तत्कालीन गोरे ( योरोपीय ) शासकों में फैली रंगभेद की नीतियों और अश्वेतों के दमन का जो चित्रा उभरता है वह सत्ताधारियों के लिए बैचनी का कारण बनता है।
- ग़ज़ल हारा सा मिरे साथ पड़ा था वो भी मेरे हमदोश हवाओं से लड़ा था वो भी मैं भी इजहारे तमन्ना पे हुआ था नादिम सर झुकाये हुए कुछ सोच रहा था वो भी जाने क्या बात थी भीगा नहीं दामन उसका रात ख्वाहिश के समंदर में गिरा था वो भी वो मिला था मिरी तकमील की खातिर मुझसे
- ! वहाँ सुनील की मुलाक़ात मिस्टर नदीम से होती है जो सुनील को बेरुत में सहायता और सहूलियतों के साथ ख़ास सूचनाएं देकर सुनील के गुप्त मिशन को सफल होने में मदद करेगा ! ख़ास और ज्यादा गुप्त बात यह है कि नादिम को भी यह बात नहीं मालूम कि बेरुत में सुनील के कोई और साथी भी हैं !!
- चूंकि साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब होता है और उस दौर में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में कश्मीर में राजशाही के खिलाफ आँधी जोरों पर थी और एक नए कश्मीर का निर्माण हो रहा था सो दीनानाथ नादिम के नेतृत्व में इस दौर में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में जनांदोलन के लिए सांस्कृतिक फ्रंट की स्थापना हुयी जिसे राही ने कालान्तर में तीव्रता दी।
- चूंकि साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब होता है और उस दौर में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में कश्मीर में राजशाही के खिलाफ आँधी जोरों पर थी और एक नए कश्मीर का निर्माण हो रहा था सो दीनानाथ नादिम के नेतृत्व में इस दौर में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में जनांदोलन के लिए सांस्कृतिक फ्रंट की स्थापना हुयी जिसे राही ने कालान्तर में तीव्रता दी।
- और रिफ़अतो फ़ज़ीलत अता कर , और हमें उन की जमाअत ( समूह ) में इस तरह मशहूर कर ( उठा ) कि न हम ज़लीलो रुसवा हों , न नादिम ( लज्जित ) व परेशान , न हक़ से रुगर्दां ( मुह फेरे हुए ) न अह्द शिकन ( प्रतिज्ञा भंग करने वाले ) , न गुमराह ( पथभ्रष्ट ) न गुम्राह कुन ( नभटकाने वाले ) और न फरेब खुर्दा ( छले हुए ) ।
- लिहाज़ा तुम भी उस दीन से डरो जिस में वही शख्स खुस होगा जिस ने अपने अअमाल के नतीजे को बेहतर बना लिया हो , और वह शख्स नादिम व शर्मसार होगा जिस ने अपनी बागड़ोर शैतान को थमा दी और उस के हाथ से उसे न छीनना चाहा , और तुम ने हमैं कुरआन के फ़ैसले की तरफ़ दअवत दी , हालां कि तुम कुरआन के अहल नहीं थे तो हम ने तुम्हारी आवाज़ पर लब्बैक़ नहीं कही , बल्कि कुरआन के हुक्म पर लब्बैक कही।