नामकर्म का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अनादेय नामकर्म - जिसके उदय से आदेय-प्रभा सहित शरीर हो वह आदेय तथा निष्प्रभ शरीर हो वह अनादेय नामकर्म है।
- गन्ध नामकर्म - जिसके उदय से जीव के शरीर में उसकी जाति के अनुसार गन्ध उत्पन्न हो वह गन्ध नामकर्म है।
- गन्ध नामकर्म - जिसके उदय से जीव के शरीर में उसकी जाति के अनुसार गन्ध उत्पन्न हो वह गन्ध नामकर्म है।
- प्रत्येक शरीर नामकर्म - जिसके उदय से एक शरीर का एक ही जीव स्वामी हो उसे प्रत्येक शरीर नामकर्म कहते हैं।
- प्रत्येक शरीर नामकर्म - जिसके उदय से एक शरीर का एक ही जीव स्वामी हो उसे प्रत्येक शरीर नामकर्म कहते हैं।
- स्थावर ( स्थूल ) - जिसके उदय से एकेन्द्रिय जीवों ( स्थावर कायों ) में उत्पन्न हो वह स्थावर नामकर्म है।
- शुभनामकर्म - जिसके उदय से शरीर के अंगों और उपांगों में रमणीयता ( सुन्दरता ) आती है वह शुभ नामकर्म है।
- अंगोपांग नामकर्म - जिस कर्म के उदय से शरीर के अंग और उपांगों का भेद होता है , उसे अंगोंपांग नामकर्म कहते हैं।
- अंगोपांग नामकर्म - जिस कर्म के उदय से शरीर के अंग और उपांगों का भेद होता है , उसे अंगोंपांग नामकर्म कहते हैं।
- उद्योत - जिसके उदय से जीव के शरीर में उद्योत ( शीतलता देने वाला प्रकाश ) उत्पन्न होता है वह उद्योत नामकर्म है।