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निशुंभ का अर्थ

निशुंभ अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. तीसरी अवस्था सभ्यता की विकसित अवस्था है , जहाँ आर्यसक्ति को शुंभ और निशुंभ के रूप में दो अतिवादी सक्तियों रजोगुण और तमोगुण अथवा प्रगतिवादी और प्रतक्रियावादी शक्तियों का सामना सदा करना पड़ता है।
  2. लेकिन जो आँखें खोलने वाली बात है वह तब सामने आती है जब अपने भाई निशुंभ को मारा गया देख तथा सारी सेना का संहार होता जान शुंभ ने कुपित होकर कहा- ‘
  3. दुर्गा सप्तशती इसी जेंडर सिस्टम के विरुद्ध विद्रोह है जिसमें स्त्री ‘ सेवा ' में ही मांगी जाएगी- क्योंकि तुम रत्नस्वरूपा हो तो मेरी या मेरे भाई महापराक्रमी निशुंभ की सेवा में आ जाओ।
  4. महिषासुर और शुंभ निशुंभ की बहुत बड़ी-बड़ी सेनाएँ हैं और दुर्गा सप्तशती में उनका विशद वर्णन किया भी गया है- ‘ आज उदायुध नाम के छियासी दैत्य सेनापति अपनी सेनाओं के साथ युद्ध के लिये प्रस्थान करें।
  5. तथा देवी पार्वती ने सभी दैत्यों के संहार के लिए अलग-अलग रूप धारण किए उन्होंने शुंभ , निशुंभ राक्षसों का वध करने के लिए कौशिकी अवतार लिया , महिसासुर का संहार करने के लिए महिसासुरमर्दिनी रूप लिया।
  6. तथा देवी पार्वती ने सभी दैत्यों के संहार के लिए अलग-अलग रूप धारण किए उन्होंने शुंभ , निशुंभ राक्षसों का वध करने के लिए कौशिकी अवतार लिया , महिसासुर का संहार करने के लिए महिसासुरमर्दिनी रूप लिया।
  7. शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षसों के देवी के हाथों मारे जाने की यह सरल सी दिखने वाली कथा बहुत से ऐसे संकेत लिए है जिससे स्पष्ट होता है कि मूलतः यह कहानी स्त्री के कमोडिफिकेशन के विरुद्ध रची गई कहानी है।
  8. भगवती के अवतरण की कथा , गाथा का जिन्हें परिचय है वे जानते हैं कि महिषासुर , मधुकैटभ , शुंभ , निशुंभ , रक्तबीज , जैसे संकटों से पार होना तेजस्विता के प्रतीक सतक्त्ता का अवलम्बन मिलने पर ही सम्भव हो पाया था।
  9. भगवती के अवतरण की कथा , गाथा का जिन्हें परिचय है वे जानते हैं कि महिषासुर , मधुकैटभ , शुंभ , निशुंभ , रक्तबीज , जैसे संकटों से पार होना तेजस्विता के प्रतीक सतक्त्ता का अवलम्बन मिलने पर ही सम्भव हो पाया था।
  10. है जगत जननी जग माता , है त्रिभुवन भाग्य विधाता, है परम शक्ति परमेश्वरी, है करूणा निधि करूनेश्वरी, है दुख भंजन सुखकारी, माँ रखियो लाज हमारी........ है चंड मुंड संहारिणी, है रक्त बीज निस्तारिणी, है शुम्भ निशुंभ पछाडिणी, है महिसासुर प्राण निकारिणी, हम आये शरण तुम्हारी, माँ रखियो लाज हमारी........
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