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नीलवर्ण का अर्थ

नीलवर्ण अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. वर्ण , गुरु का कांचन के समान स्वर्णवर्ण, शुक्र का हिमकुन्द या तुषार के समान श्वेतवर्ण, शनि का नील अंजन के समान नीलवर्ण, राहु का नीलवर्ण और केतु का धूम्रवर्ण बताया गया है।
  2. इसी प्रकार नक्षत्र , आकाश व आदित्य को ' ऋक् ' मानकर और क्रमश : चन्द्र , आदित्य और नीलवर्ण मिश्रित कृष्ण प्रकाश को ' साम ' मानकर उनकी उपासना की गयी है।
  3. तब नीलवर्ण श्यामघटा छवि , पीताम्बर और किरीट मुकुट आदि आभूषण धारण किये, शंख, चक्र, गदा, पद्म चारिभुज आयुध सहित प्रसन्न वदन भगवान बोलत भये:- “बरम्ब्रुहि २ `` तब देवताओं ने स्तुति आरंभ की जिसे श्रवणकर
  4. गजमुक्ता के समान किंचित श्वेत-पीत वर्ण , पूर्व की ओर सुवर्ण के समान पीतवर्ण, दक्षिण की ओर सजल मेघ के समान सघन नीलवर्ण, पश्चिम की ओर स्फटिक के समान शुभ्र उज्ज्वल वर्ण तथा उत्तर की ओर जपापुष्प या प्रवाल के समान रक्तवर्ण के पाँच मुख हैं।
  5. विष्णु और उनके अवतार नीलवर्ण के हैं , पीतांबर और वैजयंती धारण करते हैं तो शिव कर्पूर गौर हैं, गला नीला, ऊपर सफेद चंद्रमा, गंगा का धवल जल, शिव पत्नी का गोरा रंग और शिव का वस्त्र बाघम्बर ! देवियों के साथ भी सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण वाचक रंग जुड़े हैं।
  6. अली सा ! अपनी पिछली टिप्पणी ( चला बिहारी ) में जिस फ़िल्म का ज़िक्र किया है उसका भी नाम नीलवर्ण विषबेल का प्रचलित नाम ही रखने की सोची थी प्रोड्यूसर ने किंतु उस नाम पर देश में आपत्ति होती , अतः फ़िल्म का नाम बदलना पड़ा , जैसे आपने अपना शीर्षक बदला ..
  7. २ . पित्त जनित अर्श : -पित्त विकार से उत्पन्न अर्श नीलवर्ण होते है इसके सामने के भाग से रक्त स्त्राव होते रहता है इसकीआकृति लम्बी कोमल और नमी लिए होती है इससे पीड़ित रोगी को जलन शुष्कता , अरुचि , अपचन , मूर्छा होने लागता है नाखुनो और त्वचा का रंग पीला हो जाता है
  8. विष्णु और उनके अवतार नीलवर्ण के है , पीतांबर और वैजयंती धारण करते हैं तो शिव कर्पूर गौर हैं , गला नीला , ऊपर सफेद चंद्रमा , गंगा का धवल जल , शिव पत्नी का गोरा रंग और शिव का वस्त्र बागम्बर ! देवियों के साथ भी सतोगुण , रजोगुण और तमोगुण , वाचक रंग जुड़े हैं।
  9. शूलं टंककृपाणवज्रदहनान्नागेन्द्रघंटांकुशान् पाशं भीतिहरं दधानममिताकल्पोज्ज्वलं चिन्तयेत् ॥ ' जिन भगवान शंकर के ऊपर की ओर गजमुक्ता के समान किंचित श्वेत-पीत वर्ण, पूर्व की ओर सुवर्ण के समान पीतवर्ण, दक्षिण की ओर सजल मेघ के समान सघन नीलवर्ण, पश्चिम की ओर स्फटिक के समान शुभ्र उज्ज्वल वर्ण तथा उत्तर की ओर जपापुष्प या प्रवाल के समान रक्तवर्ण के पाँच मुख हैं।
  10. इस असीम गहन कृष्ण अंतरिक्ष में केवल एक ग्रह नीलवर्ण कहलाता है और मैं अपनी अभिव्यक्ति में उसका ही अक्स होना चाहता हूं ! आपने कहा है सो देखता हूं कि इस धरती का कोई और रंग मेरे हर्फों को रास आएगा भी कि नहीं ! हिन्दी मेरी मातृभाषा है और मैं खुद ही उसकी पकड़ में हूं :) वास्ते शेष टिप्पणी...
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