×

परनारी का अर्थ

परनारी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. मानव की कीर्ति उनके श्रेष्ठ गुणों और आदर्श के कार्यान्वयन एवं उद्देश्य के सफल होने पर समाज में स्वतः प्रस्फुटित होती है जैसे- मकरंद सुवासित सुमनों की सुरभि ! मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सा लोकरंजक राजा कीर्तिशाली होकर जनपूजित होता है , जबकि परनारी अपहर्ता , साधु-संतों को पीड़ित करने वाला वेद शास्त्रज्ञाता रावण सा प्रतापी नरेश अपकीर्ति पाकर लोकनिन्दित बनता है .
  2. बल्कि एक सर्वेक्षण के अनुसार पहले भी और आज भी , नारी के लिए सिर्फ अपनी ही नहीं, अपितु पुरुष की भी अनुशासित यौनिकता ही काम्य रही ! लेकिन अफसोस कि पुरुष ने मनु के ज़माने से ही, न तो नैतिकता की खातिर और न परिवार की खातिर, परनारी की ओर फिसलती अपनी भावनाओं और यौनिकता को अनुशासित करना चाहा ! उसकी वह प्रवृति आज तक बरकरार है !
  3. श्री रामचरित मानस के रचियता मेरे बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने चैपाई लिखी ” जो आपन चाहो कल्याणा , सुयश , सुमिति , शुभ गति सुख नाना ” तो परनारी लिलार गौसाई- तजो चैथ के चंद की नाई ” अर्थात व्यक्ति हो , राजा हो यदि वह अपना कल्याण चाहता है , यश , सुमिति , अच्छी गति और सुख चाहता है तो उसे पराई स्त्री को कुदृष्टि से नही देखना चाहिए।
  4. होली सदा मनाईये परनारी के संग , भौजी हो या साली हो या होवे कोई पतंग , जो साली खुद की ना हो तो उधार लीजिये , नहीं मिले भौजी तो जरा कोई खोजिये , बिन पिये होली का मतलब कोई नहीं होवे , दारू लेओ खींच संग सिगरेट के छल्ले , थोड़ा सा नमकीन , गांजा संग में खेंचो , जरा हुस्न कयामत वाला संग , संग में भंग की बल्ले...
  5. कामन्द नीति सार में विस्तार से बताया है कि मंत्रियों को , कटुभाषण , कठोर दंण्ड , लोभ , मदिरापान , परनारी / परपुरूष संबंध , शिकार जुआ आलस्य , अकड़ , अभिमान , प्रभाव और कलह प्रियता इन व्यसनों से दूर रहना चाहिए तभी वह देश का समाज का जनता का हित कर सकता है और कामन्दक नीतिसार में यह भी बतलाया गया है कि मंत्री बनाते समय , निर्भीकता , लोकप्रियता , प्रतिभा , वाकपटुता , सत्यवादिता और क्षुद्रता का अभाव जैसे गुण देख लेने चाहिये।
  6. कामन्द नीति सार में विस्तार से बताया है कि मंत्रियों को , कटुभाषण , कठोर दंण्ड , लोभ , मदिरापान , परनारी / परपुरूष संबंध , शिकार जुआ आलस्य , अकड़ , अभिमान , प्रभाव और कलह प्रियता इन व्यसनों से दूर रहना चाहिए तभी वह देश का समाज का जनता का हित कर सकता है और कामन्दक नीतिसार में यह भी बतलाया गया है कि मंत्री बनाते समय , निर्भीकता , लोकप्रियता , प्रतिभा , वाकपटुता , सत्यवादिता और क्षुद्रता का अभाव जैसे गुण देख लेने चाहिये।
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.