परसर्ग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भाषा में पदों के द्वारा अर्थ का तथा परसर्ग आदि के द्वारा संबंध का बोध होता है।
- विकारी बहु वचन में ऊन के पश्चात् कारक परसर्ग जुड़ते हैं ञ = अनुस्वरीक बिंदु संदर्भ :
- ( 2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है।
- सहुं , केहिं , तेहिं , देसि , तणेण , केरअ , मज्झि आदि परसर्ग भी प्रयुक्त हुए।
- ( 2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है।
- विशेष- ( 1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है।
- विशेष- ( 1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है।
- ( 2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है।
- परसर्ग वाक्य में शब्दों के तिर्यक रूपों के साथ प्रयुक्त होकर किसी कारक संबंध को अभिव्यक्त करते हैं।
- वाक्य के गठन में अव्यय , निपात , क्रियाविशेषण एवं परसर्ग आदि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।