पितृयज्ञ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वैसे पितृयज्ञ के लिए पिण्डदान , भूतयज्ञ के लिए पंचबलि , मनुष्य यज्ञ के लिए श्राद्ध संकल्प का विधान है ।
- पितृयज्ञ : - देव और पितरों की पूजा अर्थात माता पिता गुरु आदि की सेवा तथा उनके प्रति श्रद्धा भक्ति .
- ( घ) हिंदू गृहस्थ से यह अपेक्षा की जाती है कि वह देवयज्ञ, भूतयज्ञ, नृयज्ञ एवं पितृयज्ञ जैसे पंचयज्ञों को संपन्न करें।
- पितृयज्ञ जीवन में पोषण , रक्षण एवं विविध कल्याणों की अभिवृद्धि करने-कराने वाले गुरु-पितृ-बड़ों की भक्ति और सेवा ही पितृ-यज्ञ है ।
- शरीर छोड़ने के उपरान्त भी उनकी आज्ञा मानकर चलना तथा उनके आत्म-कल्याण के लिए सत्कर्मों का अनुष्ष्ठान करना भी पितृयज्ञ ही है।
- ऐसे में ' पितृपक्ष ' ( पितृयज्ञ की विशेष अवधि ) को नकारात्मक प्रभाव देने वाला मानना कितना अनुचित व अतार्किक है।
- किंतु पितृयज्ञ से ही पितृऋण से छुटकारा नहीं मिलता और ऐसे पितृदोष से मुक्ति के लिए श्राद्ध जरूरी बताया गया है .
- पंचयज्ञ में प्रथम है ब्रह्मयज्ञ , दूसरा है देवयज्ञ , तीसरा है मनुष्य यज्ञ , चौथा है पितृयज्ञ और पांचवां है भूतयज्ञ।
- उल्लेख्य है कि हिंदू धर्म का आधार यज्ञ है और वायु प्रधान पितरों का ( जो अदृश्य रहते हैं ) श्राद्ध पितृयज्ञ है।
- पितृयज्ञ : पितरों की तृप्ति भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है।