पूर्वाषाढ़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मध्य नाडी = भरनी , मृगशिर , पुष्य , पूर्वाफाल्गुनी , चित्रा , अनुराधा , पूर्वाषाढ़ , घनिष्ठा , उत्तराभाद्रपद , अत्य नाडी = कृतिका , रोहिणी , आश्लेषा , मघा , स्वाति , विशाखा , उत्तराषाढा , श्रवण , और रेवती .
- आम तौर पर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक प्रबल इच्छा शक्ति के स्वामी होते हैं जिसके कारण ये जातक अपने रास्ते में आने वाली रुकावटों तथा असफलताओं से विचलित नहीं होते तथा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं।
- शनि की व्यवहारिकता तथा अनुशासन जैसी विशेषताएं इस नक्षत्र के माध्यम से प्रदर्शित होतीं हैं जो उत्तराषाढ़ को पूर्वाषाढ़ की तुलना में कहीं अधिक संतुलित नक्षत्र बना देतीं हैं तथा इस नक्षत्र में आधारहीन तथा अव्यवहारिक लक्ष्यों के पीछे भागने की प्रवृति नहीं देखी जाती।
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से शुक्र को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का अधिपति ग्रह माना जाता है जिसके चलते इस नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव भी पड़ता है तथा शुक्र की सुंदरता तथा सुंदरता का प्रदर्शन जैसीं विशेषताएं इस नक्षत्र के माध्यम से प्रदर्शित होतीं हैं।
- श्रवण नक्षत्र के जातको में संयम भी होता है तथा ऐसे जातक किसी कार्य को करने के लिए बहुत लंबे समय तक प्रयत्न करते रहने में भी सक्षम होते हैं किन्तु इन जातकों के लक्ष्य पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के जातकों की भांति अव्यवहारिक न होकर व्यवहारिक होते हैं।
- पूर्वाषाढ़ के जातकों के लिए किसी काम को बीच में ही छोड़ देना बहुत कठिन होता है जिसके चलते कई बार ये जातक ऐसे किसी कार्य को पूरा करने में बहुत समय तथा साधन व्यर्थ कर देते हैं जिसके होने की कोई संभावना ही शेष न रह गयी हो।
- अर्थात जब सप्तऋषि ( तारगण) मघा नक्षत्र पर आये थे तब कलियुग का आरम्भ हुआ और जब सप्तऋषि पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में आ चुकेंगे तो बारह सौ वर्षो में कलियुग राजा नन्द के समय में वृद्धि को प्राप्त हो जायगा जब भगवान् कृष्णा अपने धाम को पधारे, उसी समय से कलयुग चल पड़ा ।
- पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के अधिकतर जातकों के लिए पराजय स्वीकार कर लेना बहुत ही कठिन होता है जिसके चलते ये जातक अपने जीवन में कई बार ऐसे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी बहुत लंबे समय तक प्रयास करते रहते हैं जिनकी प्राप्ति की सभी संभावनाएं बहुत समय पहले ही समाप्त हो गईं हों।
- पूर्वाषाढ़ नक्षत्र सभी नक्षत्रों में से संभवत : सबसे अधिक आशावादी नक्षत्र है जिसका कारण आशावाद से जुड़े बृहस्पति तथा धनु राशि का इस नक्षत्र पर पड़ने वाला प्रभाव है जिसके कारण पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के जातकों को अपने द्वारा किये जाने वाले प्रत्येक प्रयास का सकारात्मक परिणाम मिलने का पूरा विश्वास होता है।
- पूर्वाषाढ़ नक्षत्र सभी नक्षत्रों में से संभवत : सबसे अधिक आशावादी नक्षत्र है जिसका कारण आशावाद से जुड़े बृहस्पति तथा धनु राशि का इस नक्षत्र पर पड़ने वाला प्रभाव है जिसके कारण पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के जातकों को अपने द्वारा किये जाने वाले प्रत्येक प्रयास का सकारात्मक परिणाम मिलने का पूरा विश्वास होता है।