प्रणिधान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय (मोक्षशास्त्र का अनुशलीन या प्रणव का जप) तथा ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर में भक्तिपूर्वक सब कर्मों का समर्पण करना)।
- वह ईसाई भिक्षुओं की भाँति बहुधा ‘ हिरा ' की गुफा में एकान्त-सेवन और ईश्वर - प्रणिधान के लिए जाया करते थे।
- पतंजलि ने ईश्वर प्रणिधान के माध्यम से जो साधना बताई है , उसमें आत्म समर्पण के द्वारा आनन्द अंश की उपलब्धि रहती है।
- यमों को हम सार्वजनिक अनुशासन कहेंगे और शौर्य , संतोष , तप , स्वाध्याय एवं प्रणिधान को व्यक्तिगत जीवन का अनुशासन कहा जाएगा।
- नियम - शौच ( शुद्धि), संतोष, तप (उत्तम कर्तव्य के लिए तीव्र और कठोर प्रयत्न), स्वाध्याय या आत्म- निरिक्षण,ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर के प्रति समर्पण)|
- 2 . नियम- '' शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश् वरप्रणिधानानि नियमाः '' शौच , संतोष , तप स्वाध्याय और ईश् वर प्रणिधान ये पांच नियम कहे है।
- जिनमें ईश्वर प्रणिधान यानी ईश्वर के प्रति एकाग्रता और समर्पण तथा सात्विकता होती है , उनकी शक्तियां सहज से जागने लग जाती हैं।
- तप 2 . स्वाध्याय 3 . ईश्वर प्रणिधान तप का अर्थ हैं धर्मयुक्त कार्यों को करने में जो कष्ट होता हैं उसको सहना।
- वहाँ ईश्वर वाचक ओंकार का जप तथा उस ओंकार के अर्थ की ईश्वर की भावना अर्थात् अखंड चिंतन ईश्वर प्रणिधान का स्वरूप बताया गया है।
- शरीर , इन्द्रिय मन, प्राण, अंत:करण आदि से किए जाने वाले सभी कर्मों और उनके फलों (परिणाम) को ईश्वर को अर्पित कर देना ईश्वर प्रणिधान कहलाता है।